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Friday, October 3, 2025

फिल्म ‘कांतारा’ में दिखाए गए देवता असली हैं या काल्पनिक? जानें इनकी कहानी

डेस्क। साल 2022 में आई ऋषभ शेट्टी स्टारर कांतारा (Kantara) जो अपने कहानी और स्क्रीनप्ले को लेकर अभी भी चर्चा का विषय बनी हुई है। बहुत से लोगों को फिल्म के ये पात्र काल्पनिक लग सकते हैं, लेकिन आपको जानकारी हैरानी होगी कि इनकी उत्पत्ति तटीय कर्नाटक की तुरुनाडी परंपरा से हुई है, जो 5000 हजार साल से ज्यादा पुरानी है।

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स्थानीय लोग इसे भूत पूजा भी कहते हैं। हालांकि इसका संबंध भूत या बुरी आत्माओं से बिल्कुल भी नहीं है। कांतारा में दिखाए गए पंजुर्ली और गुलेगा दोनों संरक्षक आत्माएं हैं, जो जंगलों, गांवों और परिवारों से ताल्लुक रखती है।पौराणिक कथाओं के अनुसार कैलाश पर्वत पर एक जंगली सूअर की मौत के बाद उसका बच्चा अनाथ हो गया था। तब देवी पार्वती ने उस बच्चे को गोद ले लिया और उसे अपना बना लिया।

भगवान शिव को जब यह बात पता चली तो वह क्रोध से भर उठे और अपने पवित्र निवास में सूअर को देखकर उसे पृथ्वी पर निर्वासित कर दिया। लेकिन वो सूअर का बच्चा पहले से ही पार्वती माता के प्रेम से पंजुर्ली में बदल चुका था। जो जंगलों और प्राकृतिक जगत का स्वर्गीय रक्षक भी है। जो लोग वनों और प्रकृति का सम्मान करते हैं, उन्हें पंजुर्ली का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पंजुर्ली का जन्म प्रेम से, जबकि गुलेगा का जन्म गुस्से से हुआ था। गुलेगा की उत्पत्ति ब्रह्मांडीय विनाश के दौरान भगवान शिव द्वारा फेंके गए एक पत्थर से हुई थी। गुलेगा ईश्वरीय प्रतिशोध और न्याय का अवतार माना जाता है। पौराणिक कथाओं में गुलेगा को खुद भगवान विष्णु ने आशीर्वाद दिया था कि, जहां भी अन्याय होगा वहां तुम प्रकट होगे। गुलेगा और पंजुर्ली दोनों ही आत्माएं एक साथ मिलकर संतुलन बनाती हैं।

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