नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रियदर्शिनी मट्टू हत्याकांड (Priyadarshini Mattoo) के दोषी संतोष कुमार सिंह की समय से पहले रिहाई की याचिका खारिज करने के Sentence Review Board (SRB) के फैसले को रद कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि दोषी में सुधार की गुंजाइश है और मामले को SRB के पास नए सिरे से विचार के लिए भेजा है। SRB को दोषियों का मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन करने के लिए भी कहा है। चलिए आपको प्रियदर्शिनी मट्टू (Priyadarshini Mattoo) हत्याकांड के बारे में बताते हैं।
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23 जनवरी 1996 की सर्द सुबह, दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में एक घर की दीवारों ने एक ऐसी हैवानियत देखी, जिसे याद कर आज भी रूह कांप उठती है। यह कहानी है एकतरफा प्यार में पागलपन की, जिसमें दिल्ली यूनिवर्सिटी की कानून की छात्रा, 25 वर्षीय प्रियदर्शिनी मट्टू, वहशीपन की भेंट चढ़ गईं। बिजली के तार से तब तक उनका गला घोंटा गया जब तक शरीर ढीला न पड़ गया। इसके बाद, उनके चेहरे पर बार-बार हेलमेट से वार किए गए, इतना कि चेहरा पहचानना भी मुश्किल हो गया।
इस वारदात को अंजाम देने वाला एक बड़े पुलिस अफसर का बेटा संतोष सिंह है। 1995 में प्रियदर्शिनी (Priyadarshini Mattoo) ने शिकायत की थी कि संतोष सिंह उसे परेशान कर रहा है और उसका पीछा कर रहा है। उस समय प्रियदर्शिनी को दिल्ली पुलिस ने एक गार्ड मुहैया कराया था। लेकिन इसके बावजूद वह प्रियदर्शिनी का रोज पीछा करता रहा। यही नहीं बल्कि संतोष सिंह ने उलटे प्रियदर्शिनी की शिकायत करता है कि वह एक साथ दो कोर्स की पढ़ाई कर रही, जो कि बिल्कुल झूठ होता है।

प्रियदर्शिनी (Priyadarshini Mattoo) कश्मीरी पंडित थीं। उनका पालन-पोषण श्रीनगर में हुआ था। श्रीनगर के प्रेजेंटेशन कॉन्वेंट स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद, कश्मीर में बढ़ते उग्रवाद के कारण वह अपने परिवार के साथ जम्मू चली गईं। जम्मू में प्रियदर्शिनी ने MAM कॉलेज से बीकॉम की डिग्री हासिल की। इसके बाद प्रियदर्शिनी ने दिल्ली विश्वविद्यालय में LLB की डिग्री हासिल करने के लिए दाखिला लिया।
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