डेस्क। रूस-यूक्रेन और इजरायल-ईरान जैसे संघर्षों के बाद अब पाकिस्तान और Afghanistan के बीच भी तनाव बढ़ने लगा है। अक्सर दोनों की सेनाओं के बीच सीमा पर झड़पें और टकराव की खबरें सामने आती रहती हैं। बीते दिन अफगान सैनिकों ने पाकिस्तान में गोलीबारी कर दी। चलिए जानें कि जो अफगानिस्तान कभी हिंदू शासकों के अधीन था, वो मुस्लिम देश कैसे बन गया?
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अफगानिस्तान, जिसे आज एक इस्लामी देश के रूप में जाना जाता है, कभी हिंदू और बौद्ध शासकों के अधीन हुआ करता था। यहां हजारों साल पहले आर्यों का शासन था। उस समय अफगानिस्तान को गंधार और आर्याना जैसे नामों से जाना जाता था। यह इलाका भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का हिस्सा माना जाता था।
7वीं सदी में अरब से इस्लामी सेनाएं धीरे-धीरे अफगानिस्तान की धरती तक पहुंच गयीं। उस समय यहां हिंदू शाही राजवंशों का शासन था, जिनके अधीन काबुल, गंधार और आसपास के क्षेत्र आते थे। 8वीं से 10वीं सदी के बीच अरब और तुर्क आक्रमणकारियों ने यहां कई युद्ध लड़े। महमूद गजनवी और उसके बाद के सुल्तानों ने लगातार अभियानों के जरिए हिंदू शासन को खत्म कर दिया।

गजनवी के हमलों के बाद अफगानिस्तान में इस्लामी शासन मजबूत होता गया। मंदिरों को तोड़ा गया, बौद्ध मठ नष्ट किए गए और इस्लामिक संस्थान स्थापित किए गए। समय के साथ यहां की स्थानीय आबादी इस्लाम धर्म अपनाने लगी, कुछ स्वेच्छा से, तो कुछ मजबूरी में। धीरे-धीरे इस्लाम अफगान समाज की मुख्य पहचान बन गया। आज अफगानिस्तान पूरी तरह इस्लामी गणराज्य है, लेकिन इसके प्राचीन अवशेष अब भी इस बात की गवाही देते हैं कि यह कभी आर्य संस्कृति, बौद्ध दर्शन और हिंदू धर्म का गौरवशाली केंद्र रहा है।
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