डेस्क। सभी धर्मों में शादी-विवाह के दौरान कई तरह की रस्म और परंपराएं निभाई जाती हैं। इन्हीं में एक है दूल्हे (groom) के सिर पर सेहरा बांधना लेकिन दूल्हे के सिर पर बांधा जाने वाला सेहरा सिर्फ सजावट मात्र के लिए नहीं है बल्कि इसके पीछे धार्मिक और पारंपरिक मान्यताएं भी जुड़ी हैं, जिन्हें जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे।
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शादी के दिन हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों में दूल्हा बारात निकालने से पहले तैयार होता है और इसमें सेहरा जरूर बांधता है। सेहरा के लिए आमतौर पर फूल, मोती, कुंदन, चमकीली व रेशमी धागे या कई बार तो सोने-चांदी की कलाकारी के साथ बनाया जाता है। पगड़ी से दूल्हे का सिर तो वहीं सेहरे से दूल्हे का चेहरा ढका होता है। सेहरा को आम बोलचाल की भाषा में मुकुट, विवाह मुकुट, किरीट, मउर जैसे कई नामों से भी जाना जाता है।

एक मान्यता यह भी है कि दूल्हा और दुल्हन का चेहरा शादी की मुख्य रस्मों तक छिपा रहना चाहिए, जिससे कि उन पर किसी तरह की नकारात्मक ऊर्जा या बुरी दृष्टि न पड़े। इसलिए भी दुल्हन घूंघट से अपना चेहरा ढंकती हैं और दूल्हे को सेहरा बांधा जाता है। भगवान शिव ने विवाह के समय सिर पर सांपों से बने मुकुट को धारण किया था। इसलिए आम भी लोग विवाह के समय मुकुट पहनते हैं। विवाह मुकुट को पंचदेव से सुशोभित नर का श्रृंगार बताया गया है।
सेहरा पहनाने की रस्म विभिन्न धर्म और परंपराओं में अलग-अलग होती है। आमतौर पर कई जगहों पर घर के बड़े-बुजुर्ग दूल्हे को सेहरा पहनाते हैं। कुछ जगहों पर सेहरा पहनाने की रस्म बहनोई (जीजा) निभाते हैं तो कई जगहों पर घर की महिलाएं इस रस्म को निभाती हैं।
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