नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए एनडीए ने आज अपना साझा संकल्प पत्र (manifesto) जारी किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी मौजूद रहे। सभी नेताओं ने संयुक्त रूप से मंच से एनडीए का यह घोषणापत्र जनता के सामने पेश किया।
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चुनावों के पहले लगभग हर राजनीतिक पार्टी अपना संकल्प पत्र यानी घोषणा-पत्र लेकर आती है। न केवल भारत में बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई देशों में राजनीतिक दल अपना मेनिफेस्टो जारी करते हैं। ये पार्टी का एक विजन डॉक्युमेंट होता है कि आने वाले समय में अगर उनकी सरकार बनी तो वे क्या-क्या काम करेंगे। मेनिफेस्टो में किए गए कई ऐलानों को लेकर जनता ऊहापोह में रहती है।

एक बड़ी आबादी तो इन लोक लुभावन वादों से खूब आकर्षित होती है, वहीं बहुत से लोग कुछ घोषणाओं को असंभव बताते हैं। कुछ फीसदी लोग ये मानकर चलते हैं कि ये घोषणाएं कभी पूरी नहीं होने वालीं। भारत समेत दुनिया में चुनावी घोषणा-पत्र की परंपरा 19वीं-20वीं सदी में विकसित हुई। सबसे पहले 19वीं सदी के अंत में ब्रिटेन, अमेरिका जैसी लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में पार्टियों ने अपना पॉलिसी-विजन जनता के सामने पेश करना शुरू किया।
भारत में आजादी आंदोलन के दौर में ये चलन शुरू हुआ, जब कांग्रेस समेत अन्य दलों ने अलग-अलग मकसदों के साथ घोषणा-पत्र जारी किए। स्वतंत्र भारत में पहली बार बड़े पैमाने पर 1952 के आम चुनावों में तमाम दलों ने घोषणा-पत्र पेश किए; जो बाद में लोकतंत्र के हर चुनाव-दौर का अहम दस्तावेज बन गया। किसी भी पार्टी के घोषणा-पत्र की तैयारी कई स्तरों पर होती है।
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