डेस्क। दवा (Medicines) एक ऐसी चीज है, जो हर किसी के घर में देखने को मिल जाती है। अब ऐसे में अगर आपने गौर किया हो तो दवाइयां कई बार नीली, पीली और हल्की गुलाबी रंग की होती हैं। वहीं दवाइयां कई बार हार्ट शेप, गोल और आयताकार शेप में डिजाइन की जाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर इन्हें विभिन्न रंगों और आकार में क्यों बनाया जाता हैं?
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दवाओं को अलग-अलग आकार देते समय खास ध्यान रखा जाता है। दवाओं का आकार हमेशा इसकी डोज पर निर्भर करता है। टेबलेट खाते समय वह गले में फंसे इसके लिए इनके किनारों को गोलाई में बनाया जाता है। साथ ही इन्हें निगलने में आसानी होती है। इसके अलावा दवाओं को आयाताकार, हार्ट शेप और गोलाकार बनाने की एक वजह फार्मा कंपनियां की रणनीति भी होती है। कई ड्रग कंपनियां दवाओं की मार्केटिंग के लिए इसे ऐसे आकार दिए जाते हैं।

आमतौर पर अधिकतर दवाइयों का रंग सफेद होता है। लेकिन कुछ मेडिसिन रंग-बिरंगी होती हैं। दवा जिस केमिकल से तैयार की जाती हैं। वह तय करता है कि आखिर दवा किस रंग और कैसी होगी। सीधे शब्दों में समझें तो जैसा केमिकल का रंग होगा, दवा उसी कलर में तैयार होगी। जैसा कि कार्बन टेबलेट्स का रंग काला यानी केमिकल का रंग ब्लैक है।
दूसरा मतलब दवा के रंगीन होने का मुख्य कारण उसके पहचान से जुड़ा है। दरअसल दवाओं के रंग के आधार से सभी इसे पहचानने, पैक करने से लेकर इसे इस्तेमाल करने में आसानी होती है। इसके बावजूद अगर आपको रंग द्वारा उसकी पहचान और वह किस मर्ज की दवा इसके बारे में बता दिया जाए तो इसे पहचानने में मदद मिलती है।
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