डेस्क। दिवाली का त्योहार नजदीक है और बाजार रंग-बिरंगी रोशनियों से सज चुके है। Chinese lights और झालर दिवाली जैसे त्योहार के मौसम में काफी ज्यादा लोकप्रिय होती हैं। चीन से मंगाई गई इन झालरों पर स्थानीय दुकानदारों को अच्छा खासा मुनाफा होता है। तो चलिए आपको बताते हैं कि इन झालरों की असली कीमत क्या होती है ?
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चीनी लाइटों की मूल लागत उनके प्रकार, गुणवत्ता और ऑर्डर की गई मात्रा के आधार पर होती है। चीन से मांगने पर शिपिंग लागत और माल ढुलाई शुल्क कुल लागत में थोड़ा इजाफा करते हैं। इसके बाद इंपोर्ट प्राइस पर भारत द्वारा लगाई गई सीमा शुल्क और विनियम दर में उतार चढ़ाव से भी प्रभाव पड़ता है।

माल को हवाई या समुद्री रास्ते से भेजा जाता है। हवाई माल ढुलाई तेज होती है लेकिन काफी ज्यादा महंगी भी होती है। चीनी लाइट सस्ती होती हैं जिस वजह से दुकानदार अच्छा खासा मुनाफा कमा पाते हैं। दुकानदारों का लाभ मार्जिन 30% से 60% तक हो सकता है। रिटेलर्स दिल्ली के सदर बाजार जैसे बाजारों से बहुत कम दरों पर थोक में लाइटें खरीदतें हैं।
जैसे सबसे सस्ती लाइट की कीमत ₹10 से ₹30 प्रति पीस हो सकती है। इसी के साथ थोड़ी और अच्छी क्वालिटी की लाइटों की कीमत ₹30 से ₹60 प्रति पीस हो सकती है। वहीं सबसे बेहतरीन और प्रीमियम मॉडल थोक में ₹60 प्रति पीस से ज्यादा कीमत के हो सकते हैं। रिटेल दुकानों पर बेचे जाने पर कीमतें आमतौर पर थोक मूल्य से दोगुनी या तिगुनी होती हैं। थोक में ₹60 से ज्यादा में खरीदी कोई लाइट बाजार में 300 से 750 के बीच में कई भी बेची जा सकती है।
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