डेस्क। पति की लंबी आयु के लिए पत्नी द्वारा रखा जाने वाले Karwa Chauth व्रत की महिमा अपार है। मान्यता है कि सबसे पहले यह व्रत शक्ति स्वरूपा देवी पार्वती ने भोलेनाथ के लिए रखा था। इसी व्रत से उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति हुई थी। इसीलिए सुहागिनें अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना से यह व्रत करती हैं।
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करवा चौथ द्वापर युग से मनाई जाती आ रही है। कथा के अनुसार, एक बार जब अर्जुन किलागिरि गए, तो द्रौपदी चिंतित हो गईं। उन्होंने सोचा, “अर्जुन की अनुपस्थिति में अनेक बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं। अब मुझे क्या करना चाहिए?” इस चिंता से व्याकुल होकर द्रौपदी ने भगवान कृष्ण का ध्यान किया। हाथ जोड़कर उन्होंने प्रार्थना की, “हे प्रभु, कृपया मुझे शांति प्राप्त करने का कोई सरल उपाय बताएं।”

इस पर कन्हैया ने उन्हें कार्तिक माह की चतुर्थी के दिन करवा का व्रत करने को कहा। इसके बाद द्रोपदी ने यह व्रत किया और पांडवों को संकटों से मुक्ति मिल गई। इसके अलावा कथा मिलती है कि इन्द्रप्रस्थपुर वेद शर्मा ब्राह्मण की विवाहिता पुत्री वीरावती ने करवा चौथ का व्रत किया था। नियमानुसार उसे चंद्रोदय के बाद भोजन करना था, लेकिन उससे भूख नहीं सही जा रही थी।
उसके भाई उससे अत्यधिक स्नेह करते थे और बहन की यह अधीरता उनसे देखी नहीं जा रही थी। इसके बाद भाईयों ने पीपल की आड़ में आतिशबाजी का सुंदर प्रकाश फैलाकर चंद्रोदय दिखा दिया और वीरावती को भोजन करा दिया। इसके बाद वीरावती का पति तत्काल अदृश्य हो गया। इसपर वीरावती ने 12 महीने तक प्रत्येक चतुर्थी को व्रत रखा और करवा चौथ के दिन इस कठिन तपस्या से वीरावती को पुनः उसका पति प्राप्त हो गया।
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