स्पोर्ट्स डेस्क। भारत में क्रिकेट (cricket) का क्रेज किसी और खेल से एकदम अलग है। गलियों से लेकर स्टेडियम तक हर जगह लोग इस खेल में खुद को डुबो देते हैं। क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि भारतीयों के लिए एक जुनून है। बैट, बॉल, पैड, हेलमेट और स्टंप ये सब जरूरी हैं लेकिन क्रिकेट में सबसे अहम चीज है पिच।
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मैच का परिणाम पिच पर निर्भर करता है। मैदान का आकार भले ही अलग-अलग हो, बाउंड्री 65 से 75 मीटर तक हो सकती है लेकिन पिच का आकार हमेशा आयताकार होता है और यह 22 गज की ही होती है, चलिए जानें कि क्यों? क्रिकेट पिच की लंबाई स्टंप से स्टंप के बीच 22 गज (20.12 मीटर) होती है। इसके अलावा स्टंप के पीछे कम से कम 1.22 मीटर को भी पिच में शामिल माना जाता है, इसकी चौड़ाई 3.05 मीटर रखी जाती है।
इससे जुड़ी एक दिचलस्प बात आपको बताते हैं। साल था 1710 जब इंग्लैंड में एक गंटर नाम के एक व्यक्ति ने 100 लिंक वाली लोहे चेन बनाई थी। इस चेन का मकसद था जमीनों को नापना। उस समय तक क्रिकेट कभी 24 गज पर खेला जाता था, तो कहीं 20 या 21 गज पर भी। बात बन नहीं रही थी और नापने का कोई उपकरण भी नहीं होता था और ना तरीका पता था। तब इंग्लैंड के मैदानों में जो ग्राउंड्समैन मैदानों का सर्वे करने के लिए गंटर चेन का इस्तेमाल करते थे उनको आइडिया आया।

दरअसल एक गंटर चेन 66 फीट की होती थी, यानी सटीक 22 गज। ग्राउंड कर्मियों ने इस चेन को खींचा और जो लंबाई बनी, वही तय हो गई क्रिकेट की 22 गज की पिच। कई सालों तक इसी तरह से चेन के जरिए नापकर क्रिकेट पिचों को तैयार किया जाने लगा। फिर 1744 में पहली बार क्रिकेट के नियम तैयार हुए और जब इनको अंजाम दिया गया तब उसमें यही दर्ज किया गया कि एक क्रिकेट पिच 22 गज की होगी। यानी एक लोहे की चेन ने वो सूखी पट्टी दुनिया को दे दी जिस लंबाई पर आज तक क्रिकेट खेला जा रहा है।
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