स्पोर्ट्स डेस्क। एसीसी के प्रमुख और पीसीबी के अध्यक्ष मोहसिन नकवी (Mohsin Naqvi) ने 28 सितंबर को फाइनल के बाद हुए बवाल में बीसीसीआई से माफी मांगी। लेकिन ट्रॉफी को लेकर गतिरोध अभी भी बना हुआ है। नकवी ने यह शर्त रखी कि अगर भारत ट्रॉफी और मेडल चाहता है तो उसके कप्तान को दुबई में एसीसी कार्यालय से उन्हें लेना होगा।
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BCCI ने इस शर्त को मानने से साफ इनकार कर दिया है। आपको बता दें पाकिस्तान में चोरी की बड़ी सजा मिलती है। पाकिस्तान में पाकिस्तान दंड संहिता (पीपीसी) की धारा 379 के तहत चोरी की सजा आमतौर पर कारावास है जो तीन साल तक बढ़ सकती है। इसके लिए जुर्माना भी हो सकता है या दोनों हो सकते हैं। हालांकि गंभीरता और विशिष्ट सजा चोरी की परिस्थितियों पर निर्भर करती है और गंभीर चोरी, जैसे कि घर में चोरी या हथियार का इस्तेमाल के लिए अतिरिक्त दंड और लंबी जेल की सजा संभव है।

बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने एसीसी को बताया कि ट्रॉफी परिषद की संपत्ति है। यह किसी एक व्यक्ति की निजी संपत्ति नहीं है। उन्होंने मोहसिन नकवी की आलोचना की। नकवी ने बिना किसी उचित हैंडओवर के ट्रॉफी और मेडल अपने साथ ले लिए थे।
बीसीसीआई का संदेश साफ है। उन्होंने माफी स्वीकार कर ली है। लेकिन वे चाहते हैं कि ट्रॉफी को नियमों के अनुसार सौंपा जाए। यह बयान भारत के रुख को पूरी तरह से दर्शाता है। ट्रॉफी को स्वीकार न करने का फैसला जानबूझकर लिया गया था। लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि एसीसी प्रमुख को ट्रॉफी की कस्टडी मिल गई। न ही उन्हें ट्रॉफी को आयोजन स्थल से हटाने का अधिकार मिला।
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