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Friday, September 26, 2025

यहां देवी मां ने काटा था अपना ही सिर, आज है दुनिया का इकलौता शक्तिपीठ

झारखंड। भारत की धरती देवी-देवताओं के रहस्यमयी और प्राचीन मंदिरों से भरी हुई है। झारखंड के रजरप्पा में स्थित मां छिन्नमस्तिका मंदिर (Shaktipeeth) इन्हीं में से एक है। शारदीय नवरात्र के पावन दिनों में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है और मंदिर परिसर भक्ति और उत्साह से गूंज उठता है।

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मंदिर के गर्भगृह में मां का जो स्वरूप स्थापित है, वह भक्तों के मन में विस्मय और श्रद्धा दोनों जगाता है। देवी अपने दाहिने हाथ में तलवार और बाएं हाथ में अपना ही कटा हुआ सिर धारण किए हैं। उनके शरीर से रक्त की तीन धाराएं प्रवाहित होती दिखती हैं- दो धाराएं उनकी सहचरियों डाकिनी और शाकिनी (जया और विजया) को समर्पित हैं और तीसरी धारा स्वयं देवी ग्रहण करती हैं।

मां कमल पुष्प पर खड़ी हैं और उनके चरणों के नीचे कामदेव और रति की प्रतिमा अंकित है। गले में मुंडमाला, सर्पमाला और खुले केशों वाला यह रूप शक्ति, त्याग और अद्भुत बलिदान का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि एक बार मां भगवती अपनी सहचरियों जया और विजया के साथ नदी में स्नान कर रही थीं, तभी उनकी सहचरियों को अचानक तेज भूख लगी और उन्होंने भोजन की याचना की।

मां ने उन्हें थोड़ी प्रतीक्षा करने को कहा, लेकिन उनकी असहनीय भूख को देखकर भगवती ने तुरंत अपने खड्ग से अपना सिर काट लिया। उनके गले से तीन धाराओं में रक्त प्रवाहित हुआ। दो धाराओं से सहचरियों ने तृप्ति पाई और तीसरी धारा स्वयं मां ने ग्रहण की। यह कथा देवी के असीम त्याग और करुणा को दर्शाती है। वह बताती हैं कि माता अपने भक्तों की जरूरतें पूरी करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं।

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