डेस्क। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान लगभग 23 महीने जेल में बिताने के बाद आज सीतापुर जेल से रिहा हो चुके हैं। Azam Khan की रिहाई सुबह 9 बजे के आस पास हो जानी थी लेकिन कागजी कार्रवाई और जुर्माने की रकम भरने के चलते उनकी रिहाई में थोड़ी देर हुई।
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आमतौर पर भारतीय जेलों में कैदियों को काम करने के मौके दिए जाते हैं। काम करने के बदले उन्हें पैसे भी मिलते हैं। हालांकि आजम खान को लेकर ऐसी कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिली है कि उन्होंने वास्तव में कोई काम किया था या नहीं या फिर उन्हें जेल से निकलने के बाद पैसे मिलेंगे या नहीं। लेकिन आपको बता दें कि मजदूरी की रकम और पात्रता कई बातों पर निर्भर करती है।

भारत की जेलें अक्सर कानून और अपराध नियंत्रण के रूप में देखी जाती हैं, लेकिन अंदर की हकीकत कुछ अलग ही होती है। हालांकि जेल का उद्देश्य अपराधियों को दंडित करना और उन्हें सुधारना होता है लेकिन संसाधनों की कमी और भीड़भाड़ इसे एक चुनौतीपूर्ण माहौल बना देती हैं। जो कैदी अंडर ट्रायल पर हैं और जिन पर अभी भी मुकदमा चल रहा है और सजा नहीं हुई है उन्हें आमतौर पर काम से छूट मिली होती है।
भारत में ज्यादातर जेलें कैदियों की भीड़ से जूझ रही हैं। सेंट्रल जेलों में कैदियों की संख्या अक्सर क्षमता से कई गुना ज्यादा होती है। इस वजह से न सिर्फ रहने की जगह की कमी रहती है, बल्कि स्वच्छता और स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी असर पड़ता है। कई कैदी छोटे-छोटे कमरों में रह जाते हैं, जहां नींद और आराम के लिए पर्याप्त जगह नहीं होती है। जेलों में खान-पान की स्थिति भी गंभीर है।
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