डेस्क। उत्तर प्रदेश का हर कोना भारत के अतीत की एक कहानी को दर्शाता है। चाहे आगरा के मुगल स्मारक हों या फिर आध्यात्मिक वाराणसी शहर, उत्तर प्रदेश की संस्कृति काफी अनोखी है। इसके 75 जिलों में से एक जिला ऐसा भी है जिसने स्वतंत्रता की लड़ाई में अपना योगदान दिया था। इस जिले को शहीदों (Martyrs) की धरती के नाम से भी जाना जाता है।
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उत्तर प्रदेश के रायबरेली को शहीदों की धरती कहा जाता है। इसे एक खिताब इसलिए मिला क्योंकि यहां के लोगों ने भारत की आजादी के लिए लड़ाई में योगदान दिया था। रायबरेली पांचाल और कौशल जैसे भारतीय साम्राज्य का हिस्सा था। रायबरेली के लोगों ने महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन के दौरान विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था।

13वीं सदी में रायबरेली को दिल्ली सल्तनत के साथ जोड़ दिया गया था और बाद में इसे जौनपुर सल्तनत का हिस्सा बनाया गया। 1856 में अंग्रेजों ने अवध प्रांत को अपने अधीन कर लिया था जिस वजह से रायबरेली सीधे ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया। उत्तर प्रदेश में अब 18 डिवीजन में 75 जिले हैं जिनमें रायबरेली भी आता है।
आज जिस जगह पर उत्तर प्रदेश है, वहां कभी पांचाल और कोसल साम्राज्य हुआ करता था। हालांकि, बाद में शर्कियों का शासन हुआ और यहां जौनपुर शहर बसाया गया। कुछ समय बाद यहां मुगलों का शासन हुआ, तो सत्ता नवाबों के हाथों में सौंपी गई और यहां अवध सूबा बना, लेकिन ब्रिटिश के आगमन के साथ यहां उत्तर-पश्चिम प्रांत का गठन हुआ। देश आजाद हुआ, तो सरकार ने इसे उत्तर प्रदेश नाम दिया और 24 जनवरी, 1950 को राज्य का पुनर्गठन किया गया।
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