डेस्क। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपने फैसले से दुनिया को चौंका दिया है। उन्होंने शुक्रवार को एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए जिसके तहत H-1B visa शुल्क को सालाना 100,000 अमेरिकी डॉलर तक बढ़ा दिया जाएगा। इसका सीधा असर उन लोगों पर पड़ेगा, जो काम या नौकरी के सिलसिले में अमेरिका जाते हैं।
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ट्रंप के इस फैसले का असर भारतीय नागरिकों पर भी देखने को मिलेगा। चूंकि ट्रंप प्रशासन के इस फैसले के बाद विदेशी कर्मचारियों के लिए H1-B वीजा हासिल करने के लिए, अमेरिकी टेक कंपनियों को अब सरकार को 1,00,000 डॉलर का भुगतान करना होगा। अब इससे बचने के लिए अमेरिकी टेक कंपनियां अमेरिकी प्रतिभाओं को नियुक्त करेंगी। जिससे विदेशी नागरिकों को इन कंपनियों में नौकरी पाना थोड़ा मुश्किल होगा।

आइए आपको बताते हैं कि सबसे अधिक H1-B वीजा प्रायोजित करने वाली शीर्ष 10 कंपनियां कौन सी हैं?
अमेजन कॉम सर्विसेज एलएलसी 10,044 एच1-बी वीज़ा धारक
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज एलएलसी 5,505
माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन 5,189
मेटा प्लेटफॉर्म 5123
एप्पल इंक 4,202
गूगल एलएलसी 4,181
कॉग्निजेंट टेक्नोलॉजी सॉल्यूशन 2,493
जेपी मॉर्गन चेस एंड कंपनी 2,440
वॉलमार्ट एसोसिएट्स इंक 2,390
डेलॉइट कंसल्टिंग एलएलपी 2353
गौरतलब है कि USCIS ने इसी साल जुलाई में एक बयान में कहा था कि इस वित्तीय वर्ष 2026 के लिए उसे 65,000 एच-1बी वीजा नियमित सीमा और 20,000 एच-1बी वीजा अमेरिकी उन्नत डिग्री छूट के लिए पर्याप्त याचिकाएं प्राप्त हुई हैं। राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से कुछ गैर-आप्रवासी श्रमिकों के प्रवेश पर प्रतिबंध संबंधी घोषणा पर हस्ताक्षर के बाद इस कदम से गैर अप्रवासी व्यक्तियों का अमेरिका में प्रवेश पूरी तरीके से प्रतिबंधित हो जाएगा। यह प्रतिबंध उस समय तक लागू रहेगा, जब तक 100,000 अमेरिकी डॉलर का भुगतान न हो।
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