डेस्क। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान से लेकर तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश तक लोगों ने Bawaria gang का कहर देखा है। अजीब आवाजें निकालकर पहले दरवाजा खुलवाते हैं या सीधे ही दरवाजा तोड़कर घर में घुसते हैं और फिर घर का कीमती सामान लूटते हैं। ऐसे में जो भी उनके रास्ते में आता है उसकी अगर उन्हें जान भी लेनी पड़े तो पीछे नहीं हटते।
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बावरिया गैंग का इन वारदातों को अंजाम देने का तरीका बड़ा दिलचस्प है। साल 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक, जब से बावरिया समुदाय की उत्पत्ति हुई है, तभी से ये आपराधिक गतिविधियों में शामिल हैं। 1881 में भारत की जनगणना में बावरिया समुदाय को हंटिंग कम्युनिटी के तौर पर वर्णित किया गया। जंगली जानवरों का फंदे से शिकार करने के इनके कुख्यात तरीके को देखकर इन्हें इस श्रेणी में रखा गया।

बावरिया गैंग हमेशा 5 से 10 लोगों के ग्रुप में घटनाओं को अंजाम देता है। इनके ग्रुप में महिलाएं और बच्चे भी शामिल होते हैं। बावरिया गैंग के लोग सबसे पहले सिर पर वार करते हैं ताकि सिर पर चोट लगने से या तो शख्स की मौत हो जाती है या बेहोश हो जाता है। साथ ही वह अपने फोन और हथियार घटनास्थल पर ही छोड़ जाते हैं ताकि कोई उन्हें ट्रैक न कर सके।
ये वारदात को अंजाम देने से पहले अपनी कुलदेवी की पूजा करते हैं। कुलदेवी के सामने एक बकरा खड़ा करते हैं अगर वह कुलदेवी की ओर आगे बढ़ता है तो वारदात के लिए निकलते हैं अगर वह ऐसा नहीं करता तो इसे अपशकुन मानकर वारदात को अंजाम नहीं देते। वहीं, कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक बावरिया गैंग हर वारदात को अंजाम देने से पहले अमावस्या के चांद की पूजा करता है।
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