नई दिल्ली। प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री, अगर जेल गए तो कुर्सी छोड़नी होगी; इस बिल को लेकर संसद में हंगामा मचा हुआ हुआ। कोई बिल क़ानून कैसे बनता है, चलिए जानते हैं। कोई भी बिल कानून बनने के लिए दोनों Parliament लोकसभा और राज्यसभा से होकर गुजरता है और फिर राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद कानून बनता है।
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सबसे पहले बिल को किसी एक Parliament लोकसभा या राज्यसभा में पेश किया जाता है। बिल को पेश करने से पहले इसे मंत्रिमंडल की मंजूरी लेनी होती है। इसके बाद संबंधित मंत्री या सांसद बिल को सदन में प्रस्तुत करता है। इस चरण में बिल का सामान्य परिचय होता है और इसे औपचारिक रूप से स्वीकार करने के लिए सदन में चर्चा होती है। अक्सर बिल को लेकर जनता से भी सुझाव मांगे जाते हैं।

कई बार बिल को गहन जांच के लिए संसदीय समिति को भेजा जाता है। ये समितियां विशेषज्ञों और हितधारकों से सलाह लेती हैं बिल की कमियों को उजागर करती हैं और सुधार के सुझाव देती हैं। समिति की रिपोर्ट के आधार पर बिल में संशोधन हो सकता है। चर्चा पूरी होने के बाद बिल को स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए सांसदों की वोटिंग कराई जाती है। इसे पास करने के लिए साधारण बहुमत की जरूरत होती है। अगर बिल एक Parliament में पास हो जाता है, तो उसे दूसरे सदन में यही प्रक्रिया दोहराई जाती है।
जब दोनों सदन बिल को मंजूरी दे देते हैं तो इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। राष्ट्रपति तीन विकल्प चुन सकते हैं। बिल को मंजूरी देना, उसे वापस भेजना या कुछ समय के लिए रोकना। मंजूरी मिलने के बाद बिल कानून बन जाता है।
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