नई दिल्ली। प्रधानमंत्री हों या फिर मुख्यमंत्री, अगर जेल गए तो कुर्सी छोड़ने पर मजबूर करने वाले बिल को लेकर संसद में जमकर हंगामा हुआ। अब इस बिल को जेपीसी में भेजने की बात कही गई है। ऐसे में आइए जानते हैं कि जेपीसी (JPC) क्या होती है और तमाम विवादित बिलों को इसमें क्यों भेजा जाता है?
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दरअसल संसद में विधायी समेत अन्य मामलों के बहुत सारे कामकाज होते हैं। सभी मामलों पर पर गहराई से विचार करना संभव नहीं होता है, ऐसे में कई कार्यों को करने के लिए विशेष समितियों JPC का गठन किया जाता है। अलग-अलग कार्यों के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार की समिति गठित की जा सकती है।
संसदीय समितियां मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं, अस्थायी या एडहॉक और स्टैंडिंग कमेटी। अस्थायी समितियां किसी विशेष उद्देश्य से नियुक्त की जाती हैं और अपना कार्य समाप्त करने के बाद स्वत: समाप्त हो जाती हैं। जेपीसी (JPC) मामले से जुड़े किसी भी व्यक्ति या संस्था से पूछताछ कर सकती है और पेश होने के लिए बुला सकती है। अब तक देश में कई मामलों में जेपीसी की जांच की जा चुकी है।

जब भी कोई बिल जेपीसी में भेजा जाता है तो स्पीकर सबसे पहले जेपीसी का गठन करते हैं। इसमें राज्यसभा और लोकसभा के सदस्यों को शामिल किया जाता है। इसमें लोकसभा के सदस्यों की संख्या राज्यसभा सदस्यों से दोगुनी होती है। आमतौर पर 15 सदस्यों की जेपीसी बनाई जाती है। जिस पार्टी के ज्यादा सांसद होते हैं, उसके ज्यादा सदस्य जेपीसी में होते हैं। स्पीकर ही जेपीसी सदस्यों की संख्या को तय करते हैं और ये भी फैसला लेते हैं कि किस दल से कितने सदस्य शामिल होंगे।
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