डेस्क। उत्तरकाशी के धराली गांव में मंगलवार दोपहर 1.45 बजे बादल फटने (cloudburst) से भारी तबाही मची है। उत्तरकाशी का धराली गांव मलबे में दबा हुआ है और वहां पर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। यहां पर बादल फटने से कई लोगों की मौत हो गई है और कई मकान व होटल तबाह हो गए हैं। चलिए जानते हैं कि आखिर बादल कैसे फटते हैं और ये इतना पानी कहां से लेकर आते हैं?
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भारी बारिश की गतिविधि को बादल फटना (cloudburst) कहा जाता है लेकिन भारी बारिश की सभी घटनाएं बादल फटना नहीं कहलाता है। लगभग 10 किमी x 10 किमी क्षेत्र में एक घंटे में 10 सेमी. या फिर उससे ज्यादा बारिश होने को बादल फटने के रूप में देखा जाता है। उसी क्षेत्र में आधे घंटे के टाइम में 5 सेमी. की बारिश को बादल फटना कहा जा सकता है।

बादल फटने (cloudburst) की घटना के दौरान किसी स्थान पर एक घंटे के अंदर सालाना बारिश का लगभग 10% हो जाता है। भारत में औसतन किसी भी स्थान पर एक साल में करीब 116 सेमी. बारिश होने की उम्मीद की जा सकती है। पहाड़ों में अक्सर बादल फटने की घटनाएं होती रहती हैं। जब जमीन की ओर से गर्म हवा बादलों की ओर उठती है और बारिश की बूंदों को ऊपर लेकर जाती है।
इस वजह से बारिश ठीक ढंग से नहीं हो पाती है और बादलों में नमी भारी मात्रा में जमा हो जाती है। वहीं जब ऊपर जाने वाली हवा कमजोर हो जाती है, तब बादल में जमा सारा पानी तेजी से नीचे की तरफ गिरता है। यही घटना बादलों का फटना (cloudburst) कहलाती है।
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