देहरादून। उत्तराखंड (Uttarakhand) के उत्तरकाशी में धराली गांव में बादल फटने से नाला उफान पर आ गया और नाले का पानी तेजी से निचले इलाकों की तरफ बहकर आया, जिससे कि बड़ा नुकसान हुआ है और कई घर पूरी तरह से तबाह हो गए हैं। इस हादसे में अब तक चार लोगों की मौत बताई जा रही है और 50 से ज्यादा लोग लापता हुए हैं।
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हालांकि उत्तराखंड (Uttarakhand) में पहली बार बादल नहीं फटा है, इससे पहले भी बादल फटने की गंभीर आपदाएं आ चुकी हैं। हाल ही में 9 जुलाई को उत्तराखंड के चमोली जिले में बादल फटने की वजह से तबाही हुई थी। बादल फटने से एक नाला नदी में तब्दील हो गया और पूरे गांव को ले डूबने पर आतुर हो गई। 31 जुलाई 2024 को टिहरी के जखन्याली में बादल फटा था। उस दौरान एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत हो गई थी।

16-17 जून 2013 को केदारनाथ में आई उस आपदा कोई नहीं भूल सकता है। इस घटना ने पूरी दुनिया को सन्न कर दिया था। इस हादसे में 5000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। इस भयानक बाढ़ में हजारों लोग बह गए थे और अभी तक उनकी लाशें भी शायद नहीं मिली हैं।
सितंबर 2012 में उत्तरकाशी (Uttarakhand) में बादल फटने की घटना से 45 की मौत हुई थी। इस घटना में करीब 40 लोग लापता हो गए थे, जिनमें से सिर्फ 22 लोगों के ही शव मिल पाए थे। अगस्त 1998 में कुमाऊं में काली घाटी में बादल फटा था। इस घटना में करीब 250 लोगों की मौत हुई थी। इस दौरान कैलाश मानसरोवर के 60 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।
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