डेस्क। भारत में रक्षाबंधन (Rakshabandhan 2025) की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों हर साल इस दिन भद्रा काल (Bhadra Kaal) होता है, जिसमें राखी बांधने की मनाही होती है। इस बार रक्षाबंधन का त्योहार 9 अगस्त को मनाया जाने वाला है।
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भद्रा काल को अशुभ क्यों माना जाता है और हर साल रक्षाबंधन (Rakshabandhan) पर भद्रा काल क्यों रहता है आज हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं। आइए, जानते हैं। भद्रा, भगवान सूर्य की पुत्री और शनि देव की बहन हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे अपने भाई शनि देव की तरह ही सख्त हैं। इनके कठोर स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए भगवान ब्रह्मा ने उन्हें समय की गणना के एक महत्वपूर्ण अंग विष्टि करण में स्थान दिया।

इस काल को भद्राकाल माना जाता है और इसमें पूजा आदि करने की मनाही होती है। रक्षाबंधन (Rakshabandhan) के दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं और उन्हें राखी बांधती हैं। इस कारण भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। कहा जाता है कि रावण की बहन ने उसे भद्राकाल में राखी बांधी थी जिसके बाद उसका वध हो गया।
भद्रा का संयोग कुछ खास तिथियों पर ही बनता है जैसे-चतुर्थी, अष्टमी, एकादशी और पूर्णिमा। रक्षाबंधन (Rakshabandhan) सावन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, ऐसे में रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल भी होता है। कहते हैं पूर्णिमा के दिन भद्रा पृथ्वी पर रहती है, इसलिए इस दौरान कोई शुभ काम नहीं करना चाहिए।
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