डेस्क। नाग पंचमी (Nag Panchami) का पर्व आज मनाया जा रहा है। नाग देवता की पूजा के लिए यह दिन उत्तम है। हिंदू धर्म ग्रंथों में कई पौराणिक कथाएं पढ़ने और सुनने को मिलती है। इन्हीं में से एक नागलोक (Naglok) की कथा है। बताया जाता है कि धरती पर एक ऐसी जगह है जहां आज भी नाग यानि सर्प लोक मौजूद है।
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भारत में नागों को देवताओं के समान माना जाता है, जिसके कारण हर साल नाग पंचमी पर साँपों की पूजा की जाती है। पुराणों के अनुसार नागों की उत्पत्ति महर्षि कश्यप और उनकी पत्नी कद्रू से हुई थी, जिन्होंने हजारों नागों को जन्म दिया। नागलोक (Naglok), जिसे पाताल लोक के एक स्तर पर स्थित माना जाता है, वहाँ के अत्यंत समृद्ध और भव्य नगरी के रूप में वर्णित है।

बताया जाता है कि धरती पर एक ऐसी जगह है जहां आज भी नाग यानि सर्प लोक मौजूद है। नागलोक (Naglok) छत्तीसगढ़ के जशपुर में स्थित है। इस जगह को तपकरा के नाम से जाना जाता है। ये आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। जंगलों से घिरा जशपुर का तपकरा इलाका जादुई तिलस्म से भरा हुआ है। यहां स्थित पहाड़ पर एक गुफा है। जो करीब 400 मीटर दूर तक फैला है। जिसे कोतेविरा कपाट द्वार या पातालद्वार कहा जाता है।
लोगों का मानना है कि जो भी इस गुफा में गया, वो आज तक नहीं लौटा। इसीलिए गुफा का मेन गेट एक बड़े से चट्टान से बंद करके रखा गया है। तपकरा इलाके में शिव जी का एक प्राचीन मंदिर भी है। बताया जाता है पहले यह इलाका दंडकारण्य वन में पड़ता था। न्यताओं के मुताबिक पाताल द्वार से नागराज आकर शिव की पहरेदारी करते थे।
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