डेस्क। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की ISS से पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी हो गई है। Axiom-4 मिशन के तहत ड्रैगन अंतरिक्ष यान कैलिफोर्निया तट के पास सफलतापूर्वक स्प्लैशडाउन हुआ।
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अब इसके बाद अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की खूब चर्चा हो रही है। लोगों के मन में सवाल है कि आखिर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन क्या है और वैज्ञानिक वहां पर जाकर क्या करते हैं? आज हम आपको अपनी इस खबर में विस्तार से बताएंगे कि अंतरिक्ष स्टेशन क्या है और वैज्ञानिक वहां जाकर क्या करते हैं।
दरअसल पृथ्वी की कक्षा में स्थित अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) एक बड़ा अंतरिक्ष यान है, जो एक घर के तौर काम करता है। यहां पर अंतरिक्ष यात्रियों की टीम रहती है। यह एक अनोखा प्रयोगशाल है। कई देशों ने अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण किया है और इसका इस्तेमाल करते हैं। अंतरिक्ष स्टेशन उन भागों से बना है जिन्हें अंतरिक्ष यात्रियों ने अंतरिक्ष में ही जोड़ा था।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (ISS) नासा के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन करीब 402 किमी की औसत ऊंचाई पर पृथ्वी का चक्कर लगाता है। सबसे हैरानी वाली बात यह है कि 28 हजार किमी प्रति घंटे की रफ्तार से यह अंतरिक्ष में घूमता है। हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा करता है। नासा की तरफ से अंतरिक्ष स्टेशन का अंतरिक्ष में रहने और काम करने के बारे में अधिकारी जानकारी के लिए इस्तेमाल करता है।

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 2 नवंबर 2000 को पहली बार अंतरिक्ष यात्रियों की टीम पहुंची थी। तब से ही अंतरिक्ष यात्री आईएसएस पर जा रहे हैं। समय के साथ ही इसमें कई हिस्से जोड़े गए हैं। नासा और दुनियाभर के उसके भागीदारों ने साल 2011 में अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण पूरा किया था। अंतरिक्ष स्टेशन का आकार पांच बेडरूम वाले घर जितना बड़ा है। इसमें छह चालक दल और यहां पर आने वाले अंतरिक्ष यात्री रह सकते हैं। पृथ्वी पर अंतरिक्ष स्टेशन का वजन करीब दस लाख पाउंड होगा। इसमें अमेरिका, रूस, जापान और यूरोप के प्रयोगशाला मॉड्यूल शामिल हैं।
अंतरिक्ष स्टेशन पर प्रयोगशालाएं हैं, जहां अंतरिक्ष यात्री शोध करते हैं। साथ ही इसके कई भाग हैं। अंतरिक्ष यात्री बाहर की तरफ खुलने वाले एयरलॉक के माध्यम से अंतरिक्ष में पहुंच सकते हैं। डॉकिंग पोर्ट दूसरे अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ने की इजाजत देते हैं। नए चालक दल और अंतरिक्ष यात्री पोर्ट्स के माध्यम से आते हैं।
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