गोंडा। पूर्व कृषि मंत्री व पूर्व सांसद आनंद सिंह (Anand Singh) का रविवार देर रात लखनऊ (Lucknow) में निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे। अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सक ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके निधन की खबर से जिले में शोक की लहर दौड़ गई। मनकापुर कोट पर सन्नाटा पसरा हुआ है। वर्तमान में उनके पुत्र कीर्तिवर्धन सिंह गोंडा (Gonda) से भाजपा सांसद और भारत सरकार में विदेश राज्य मंत्री के पद पर कार्यरत हैं।
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गोंडा ही नहीं बलरामपुर की राजनीति के भी धुरी माने जाने वाले मनकापुर रियासत के राजा आनंद सिंह (Anand Singh) ने वर्ष 1971 में सगे चाचा देवेंद्र प्रताप सिंह उर्फ लल्लन साहब को लोकसभा चुनाव में पराजित कर सियासत को नई दिशा दी। राजनीति में सब जायज है कि कहावत को चरितार्थ करने वाले राजा आनंद सिंह भले ही सियासी बनवास पर हैं लेकिन चुनाव दौर में फिर चर्चा में हैं।
कांग्रेस 1971 के चुनाव में दो फाड़ हो गई थी। कांग्रेस सिंडिकेट से राजा आनंद सिंह (Anand Singh) गोंडा संसदीय सीट से मैदान में तो कांग्रेस इंडिकेट (आई) ने उनके चाचा और विधान परिषद के उपसभापति कुंवर देवेंद्र प्रताप सिंह उर्फ लल्लन साहब को प्रत्याशी बनाया। चुनाव (election) बेहद रोमांचक रहा, चाचा-भतीजे की चुनावी जंग कड़े मुकाबले से गुजरी, जिसमें कुंवर आनंद सिंह ने जीत हासिल कर संसद में प्रवेश किया। इस चुनाव से न सिर्फ राजा आनंद सिंह का कद बढ़ा, बल्कि वह अपनी बेबाकी, बेदाग छवि से यूपी टाइगर कहलाने लगे।

राजा आनंद सिंह (Anand Singh) का जन्म 4 जनवरी 1939 को हुआ था। उन्होंने 1971 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर गोंडा लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। इसके बाद वे 1980, 1984 और 1989 में भी सांसद चुने गए। कुल मिलाकर वे चार बार गोंडा से लोकसभा सांसद रहे। पूर्वांचल की राजनीति में उनका गहरा दबदबा था। उनके करीबी केबी सिंह के अनुसार कांग्रेस के दौर में उन्हें सादा सिंबल दे दिया जाता था और वे जिसे चाहते टिकट दे देते थे। “जिसके सिर पर मनकापुर कोट का हाथ होता था, वह सांसद, विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष या ब्लॉक प्रमुख बनता था,” यह बात आम लोगों की जुबान पर रहती थी।
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