डेस्क। रूस और यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) का सबसे बड़ा कारण NATO निकल कर आया था। यूक्रेन को NATO में शामिल होना था लेकिन रूस ऐसा नहीं चाहता था बस यही वजह बन गई इस पूरे युद्ध का। अब आप ये सोच रहे होंगे कि NATO में ऐसा क्या था जो यूक्रेन (Ukraine) उसमें शामिल होना चाहता था और रूस ने क्य़ों उसे मना कर दिया? तो हम आपको यहां NATO के बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं कि नाटो क्या है, उसका क्या काम है?
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1949 में, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ के बढ़ते प्रभाव और साम्यवाद के विस्तार को रोकने के लिए अमेरिका के नेतृत्व में नाटो का गठन किया गया था। यह एक सामूहिक सुरक्षा गठबंधन था, जिसका सिद्धांत था कि एक सदस्य देश पर हमला सभी सदस्य देशों पर हमला माना जाएगा। इसके जवाब में सोवियत संघ ने 1955 में वारसॉ Pact का गठन किया, जिसमें पूर्वी यूरोपीय देश शामिल थे, इस तरह, दुनिया दो गुटों में बंट गई नाटो और वारसॉ Pact।
1955 में सोवियत संघ के नेतृत्व में पूर्वू देशों ने एक गठबंधन किया जिसे वारसा पैक्ट (WARSAW Pact) कहा गया। इस गठबंधन में सोवियत संघ, पोलैंड, पूर्वी जर्मनी, चैकोस्लोवाकिया, हंगरी, रोमानिया और बुल्गारिया शामिल थे। इसका सबसे अहम काम था कि वो नाटो में शामिल देशों का यूरोप में मुकाबला करे और इसी के लिए इसका गठन हुआ था। हालांकि 1968 में अल्बानिया इस समझौते से पीछे हट गया था और पूर्वी जर्मनी 1990 में हट गया था।

नाटो के गठन के समय इसमें 12 देश शामिल थे लेकिन आज की तारीख में नाटो के 32 सदस्य हैं। यूक्रेन (Ukraine In NATO) के नाटो में शामिल होने को लेकर संगठन के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा है कि ये तो निश्चित है कि यूक्रेन नाटो का सदस्य बनेगा लेकिन तब तक नहीं बनेगा जब तक उसका रूस से युद्ध नहीं खत्म हो जाता। बता दें कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने यूक्रेन को जल्द से जल्द नाटो में शामिल करने के लिए कहा है।
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