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Wednesday, May 14, 2025

यहां होते हैं भोलेनाथ के मुख के दर्शन, सिर्फ 140 लोग ही कर सकते हैं रोजाना दर्शन

उत्तराखंड। श्री रुद्रनाथ मंदिर (Shri Rudranath temple) के कपाट 18 मई को खुलने वाले हैं। इस बार प्रतिदिन केवल 140 तीर्थ यात्री ही दर्शन कर सकेंगे। यात्रा मार्ग पर खाने-ठहरने की व्यवस्था की गई है। तीर्थ यात्रियों (pilgrims) के लिए ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य है जिसके लिए वेबसाइट जारी की गई है। चमोली (Chamoli) जिले में समुद्रतल से 11,808 फीट की ऊंचाई पर स्थित रुद्रनाथ धाम (Shri Rudranath temple) जाने के लिए गोपेश्वर के पास सगर गांव से 19 किमी की खड़ी चढ़ाई पैदल तय करनी पड़ती है।

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बता दें पंच केदारों में सबसे पहला केदार, केदारनाथ (Kedarnath) है; जहां सबसे पहले पांडवों ने भगवान शिव (Lord Shiva) के धड़ के दर्शन किए थे। मध्यमहेश्वर दूसरे केदार के नाम से जाने जाते हैं, यहां पर शिव के मध्य भाग के दर्शन होते हैं। तीसरे केदार तुंगनाथ में भगवान शिव की भुजा का स्वरूप है। चौथे केदार रुद्रनाथ में शिव के मुख के दर्शन किए जा सकते हैं, जबकि पांचवें केदार कल्पेश्वर में शिव की जटा विराजमान है। इन पंच केदारों में से तीन केदारनाथ, मध्यमहेश्वर और तुंगनाथउत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित हैं, जबकि शेष दो रुद्रनाथ और कल्पेश्वर चमोली जिले में स्थित हैं।

शिव के पंच केदारों में चौथा केदार रुद्रनाथ है, जहां पांडवों को भगवान शिव के मुख के दर्शन प्राप्त हुए थे। रुद्रनाथ मंदिर (Shri Rudranath temple) उत्तराखंड के चमोली जनपद में स्थित है। यहां पर ही भगवान शिव के मुख के दर्शन होते हैं। स्कंद पुराण में इस स्थान का विशेष उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि यहां देवताओं ने अंधकासुर दैत्य के अत्याचारों से त्रस्त होकर भगवान शिव की आराधना की थी। देवताओं की स्तुति से प्रसन्न होकर भगवान शिव (Lord Shiva) ने उन्हें अंधकासुर के आतंक से मुक्ति का वचन दिया और इस स्थान को अपना प्रिय धाम घोषित किया।

इसके अलावा इससे जुडी एक और मान्यता है कि यहां (Shri Rudranath temple) पर ही महादेव (Lord Shiva) ने अपनी जटा से वीरभद्र को भी उतपन्न किया था और उन्हें इस जगह पर भगवान शिव के मंत्री के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर के साथ-साथ पाण्ड़वों और वन देवियों के और भी मंदिर है और जहां की शोभा में चार चांद लगाते हैं। इसके साथ-साथ यहां सरस्वती सरोवर, मानस सरोवर, नारद कुंड और वैतरणी नदी भी हैं। स्कन्द पुराण में भी इन नदियों का जिक्र किया हुआ है। कहते हैं जो व्यक्ति यहां पर आकर पिंडदान करता है उसका फल हजारों पिंडदान के समान होता है।

Tag: #nextindiatimes #ShriRudranathtemple #Kedarnath #LordShiva

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