डेस्क। हजारों साल पुरानी कुछ तकनीकें (techniques) और उपाय ऐसे भी हैं जो आज तक अपनाई जाती हैं। अगर आप नियमित हवाई यात्रा करते हैं तो शायद रनवे (runway) के आस-पास कभी बाज (eagles) जरूर देखे होंगे। अगर आपको लगता है कि ये शिकारी पक्षी अनायास ही एयरपोर्ट (airport) तक आ गया है तो आप गलत हैं। दरअसल एयरपोर्ट के पास बाज जानबूझकर पाले जाते हैं।
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चलिए आपको इसके पीछे की वजह भी बता देते हैं। कई बार उड़ान भरने या लैंड करने के समय विमान छोटे पक्षियों से टकरा जाते हैं। इसिलिए एयरपोर्ट पर बाजों का उपयोग पक्षी टकराव (Bird Strikes) को रोकने के लिए किया जाता है। बाज (eagles) एक शिकारी पक्षी (Birds of Prey) हैं। इसकी मौजूदगी के कारण बाकी छोटे पक्षी जैसे कि तोता, गौरैया, सीगल, मैना, कबूतर आदि एयरपोर्ट (airport) और रनवे से दूर रहते हैं।

बाजों (eagles) की मदद से खतरे को दूर रखने की तकनीक काफी पुरानी है जिसे फाल्कनरी (Falconry) कहते हैं। उड़ान भरने या लैंड करने के समय अगर कोई पक्षी विमान से टकरा जाए तो इससे प्लेन के इंजन, विंडशील्ड या अन्य हिस्सों को नुकसान हो सकता है। कई बार इस छोटी सी घटना के कारण भी विमानों को बहुत देर तक उड़ान से रोक दिया जाता है जिससे सबको परेशानी होती है।
बाजों (eagles) की मदद से अन्य पक्षियों को हवाई अड्डे से दूर रखने का तरीका प्रभावी होने के साथ किफायती भी है। कई बार दूसरे पक्षियों को दूर रखने के लिए पटाखों और तेज आवाज की मदद ली जाती है लेकिन पक्षी इन उपायों के अभ्यस्त हो जाते हैं। बाज से अन्य पक्षियों में खौफ प्राकृतिक है इसलिए हजारों साल पुरानी होकर भी ये तकनीक काम करती है।
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