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Tuesday, May 6, 2025

UNSC दखल न देता तो भारत के हिस्से में होता लाहौर, जानें 1965 की वो कहानी

नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बैठक बुलाई गई है। पाकिस्तान (Pakistan) की गुजारिश पर UNSC ने सोमवार की दोपहर के लिए बैठक शेड्यूल की है। इस दौरान पहलगाम हमले (Pahalgam attack) को लेकर दोनों देशों के बीच चर्चा हो सकती है। बता दें कि पाकिस्तान का नाम UNSC के गैर-स्थायी देशों में शामिल है।

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भारत और पाकिस्तान (Pakistan) के बीच साल 1965 में हुए युद्ध को कश्मीर के दूसरे युद्ध के नाम से भी जाना जाता है। यह युद्ध 5 अगस्त 1965 को शुरू हुआ था और 23 सितंबर 1965 को खत्म हो गया। इस युद्ध में दोनों देशों के हजारों लोग मारे गए थे। 6 सितंबर 1965 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर लाहौर पर हमला किया था। इस हमले ने युद्ध की दिशा बदल दी और दुनिया का ध्यान इस पर आ गया। अगर उस दिन UNSC ने दखल न दिया होता तो आज लाहौर भी भारत के कब्जे में होता।

इस संघर्ष की जड़ें अगस्त 1965 में पाकिस्तान के गुप्त ऑपरेशन जिब्राल्टर से जुड़ी है। इसके जरिए पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करना चाह रहा था। पाकिस्तान इस उम्मीद में था कि कश्मीर में तो मुस्लिम हैं और वे हर हाल में उसका साथ देंगे। ऑपरेशन जिब्राल्टर के बाद इस बड़े संघर्ष की शुरुआत हुई, जिसे 1965 के भारत-पाक युद्ध के नाम से जाना जाता है। कश्मीर पाने के लालच में पाकिस्तान ने अपने पश्चिमी दोस्तों की मदद से कबायलियों के भेष में अपने सैनिकों को कश्मीर पर कब्जा करने के लिए भेजा।

यही वजह थी कि कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के पास चला गया, जिसे अब पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर और गिलगिट बाल्टिस्तान के नाम से जाना जाता है। बचा हुआ हिस्सा भारत के पास है। इसके बाद 1965 के युद्ध में भारत के खिलाफ पाकिस्तान ने पंजाब से लेकर कश्मीर तक मोर्चा खोल दिया था। उस वक्त भारत की सेना ने रणनीतिक रूप से हाजी पीर दर्रे पर कब्जा कर लिया था। पाकिस्तान घुसपैठियों को कश्मीर भेजने के लिए इसी रास्ते का इस्तेमाल करता था, अब जब वो हिस्सा भारत के कब्जे में हो गया तो पाकिस्तान बौखलाने लगा था। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने हाजी पीर दर्रे को पाकिस्तान को लौटाने का फैसला किया।

इसके बाद संयुक्त राष्ट्र (UNSC) ने युद्ध विराम की घोषणा की और ताशकंद समझौते के बाद यह फैसला लिया गया, जिसमें पाकिस्तान ने कहा था कि वो युद्ध विराम करेगा और शांति बनाने की कोशिश करेगा। हालांकि इस युद्ध में भारत की जीत हुई। अगर दोनों देशों के बीच 23 सितंबर को युद्ध विराम न हुआ होता तो आज लाहौर भारत के कब्जे में होता।

Tag: #nextindiatimes #UNSC #Pakistan #INDIA #Pahalgamattack

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