वेटिकन सिटी। किडनी की बीमारी से जूझ रहे पोप फ्रांसिस (Pope Francis) का निधन हो गया है। वेटिकन (Vatican) ने एक वीडियो संदेश में ये जानकारी दी है। बयान में कहा गया कि रोमन कैथोलिक चर्च (Roman Catholic Church) के पहले लैटिन अमेरिकी लीडर पोप फ्रांसिस का निधन हो गया है। बता दें कि पोप 88 वर्ष के थे और वो किडनी (kidney) की बीमारी से जूझ रहे थे। हाल ही में कई दिनों तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद वो ठीक होकर वापस घर लौटे थे।
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पोप फ्रांसिस (Pope Francis) पहले लैटिन अमेरिकी धर्मगुरू थे, जो पोप के पद पर पहुंचे। उन्हें साल 2013 में पोप की उपाधि मिली थी। बतौर पोप अपने 12 साल के कार्यकाल में पोप फ्रांसिस ने वेटिकन सिटी में कई अहम प्रशासनिक बदलाव किए। पोप फ्रांसिस का जन्म 17 दिसंबर 1936 में अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में हुआ था। उनका नाम जोर्गे मारियो बर्गोलियो था। जब पोप (Pope Francis) 21 साल के थे, तो वे न्यूमोनिया (pneumonia) से पीड़ित हो गए, इसके चलते उनके फेफड़े का एक हिस्सा भी निकालना पड़ा।
साल 1958 में वे ईसाई धर्म की एक परंपरा जेसुइट से जुड़ गए और धार्मिक शिक्षा देना शुरू कर दिया। साल 1969 में वे पादरी बने। साल 1992 में वे ब्यूनस आयर्स में ऑक्सीलरी बिशप नियुक्त हुए। साल 1998 में वे आर्कबिशप बने और साल 2001 में कार्डिनल की उपाधि से नवाजे गए। साल 2013 में जब बेनेडिक्ट 16वें पोप पद से हटे तो पोप फ्रांसिस को उनकी जगह पोप बनाया गया। साल 2013 में जब पोप फ्रांसिस ईसाईयों के सबसे बड़े धर्मगुरु बने तो उन्होंने अपने कार्यकाल में वेटिकन की नौकरशाही में बड़े बदलाव किए औऱ उसे पुनर्गठित किया।

पोप फ्रांसिस (Pope Francis) ने बतौर पोप चार बड़े धार्मिक दस्तावेज लिखे, 65 देशों का दौरा किया और 900 से ज्यादा संत बनाए। पोप फ्रांसिस ने पादरियों को समलैंगिक जोड़ों को आशीर्वाद देने की मंजूरी दी, साथ ही वेटिकन में महिलाओं की अहम पदों पर नियुक्ति की। पोप फ्रांसिस ने आध्यात्मिक नवीनीकरण और गरीबों के कल्याण पर जोर दिया। उन्होंने चर्च की नीति में मदद के लिए आठ कार्डिनल्स की एक परिषद बनाने का अभूतपूर्व कदम उठाया।
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