डेस्क। ईस्टर का त्योहार ईसाई धर्म के लोग बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं क्योंकि इस दिन कहा जाता है कि प्रभु यीशु (Lord Jesus) का पुनर्जन्म हुआ था। दरअसल ईस्टर संडे (Easter Sunday) का इतिहास ईसाई धर्म (Christianity) की नींव से जुड़ा हुआ है। इस पर्व से जुड़ी एक खास परंपरा है, अंडों को सजाना। इस दिन अंडों को सजाने और उपहार में देने की परंपरा है। कई लोगों के मन में ये सवाल आता है कि अंडा (egg) जैसे साधारण प्रतीक का इस पवित्र पर्व से क्या रिश्ता है?
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दरअसल प्राचीन काल से ही अंडे (egg) को नई शुरुआत और सृजन की निशानी के तौर पर देखा जाता है। जब यीशु मसीह (Jesus Christ) ने मृत्यु के तीन दिन बाद पुनर्जन्म लिया, तो यह घटना भी एक नई शुरुआत और पुनर्जन्म का प्रतीक बनी। इसलिए अंडे को ईस्टर (Easter Sunday) के साथ जोड़ा गया और यह यीशु के पुनर्जीवित की खुशी और एक नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक बन गया।

ईसा मसीह (Jesus Christ) को यहूदी धर्म गुरुओं ने दोषी ठहराया था क्योंकि वह खुद को ईश्वर का पुत्र बताते थे। उन्हें रोमन गवर्नर पॉन्टियस पिलातुस के सामने पेश किया गया और गुड फ्राइडे के दिन उन्हें सूली पर चढ़ा दिया गया। सूली पर चढ़ने के बाद ईसा मसीह की मौत हो गई और उन्हें कब्र में दफनाया गया। बाइबल के अनुसार तीसरे दिन यानी कि रविवार (Easter Sunday) को ईसा मसीह का फिर से जन्म हुआ इसी चमत्कारिक घटना को ईस्टर संडे (Easter Sunday) कहा जाता है।

बच्चों के बीच ईस्टर एग हंट यानी अंडे खोजने का खेल भी काफी प्रचलित है। इसमें प्लास्टिक या असली अंडों को घर या बगीचे में छिपा दिया जाता है और बच्चे उन्हें ढूंढते हैं। यह खेल बच्चों को ईस्टर के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व से भी जोड़ता है। आजकल ईस्टर अंडों में चॉकलेट या मिठाइयां भी भरी जाती हैं। यह पर्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि पारिवारिक और सामाजिक उत्सव का भी प्रतीक माना जाता है, जिसमें सभी उम्र के लोग शामिल होकर खुशी मनाते हैं।
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