डेस्क। सनातन धर्म (Sanatan Dharma) की मान्यताओं के अनुसार अमरनाथ की यात्रा (Amarnath Yatra 2025 Date) करने से साधक को पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। अमरनाथ की यात्रा एक पवित्र यात्रा होने के साथ-साथ काफी कठिन भी मानी जाती है। इस बार यह यात्रा 03 जुलाई से शुरू होने जा रही है। वहीं रजिस्ट्रेशन (registration) प्रक्रिया 15 मार्च से शुरू हो चुकी है।
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बताया जाता है कि अमरनाथ की गुफा (Amarnath cave) में कबूतरों (pigeons) का एक जोड़ा है, जो अमर हो चुका है। कबूतर के इस जोड़े के दर्शन करने से साधक अपने आपको भाग्यवान मानते हैं। आइए जानते हैं गुफा में मौजूद कबूतर के जोड़े का रहस्य। पौराणिक कथा के अनुसार इसी पवित्र गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमर कथा सुनाई थी, जिसे वहां मौजूद एक कबूतर (pigeons) के जोड़े ने सुन लिया था।
कहानी खत्म करने के बाद भगवान शिव ने पाया कि वास्तव में कहानी सुनने वाले पक्षी थे। कबूतरों के बारे में जानने के बाद, वे क्रोधित हो गए और उन्हें मारने वाले थे, लेकिन कबूतरों ने कहा कि अगर उन्हें मार डाला, तो इस कहानी की कथा नहीं रहेगी। तब भगवान शिव ने उन्हें जीवित छोड़ दिया और यह कहकर आशीर्वाद दिया कि वे इस स्थान (Amarnath cave) पर भगवान शिव और देवी पार्वती के प्रतीक के रूप में निवास करेंगे। इस तरह कबूतर का यह जोड़ा अमर हो गया।

कहा जाता है कि वह कबूतर का जोड़ा आज भी गुफा में स्थित है, जो अमर पक्षी के नाम से प्रसिद्ध हैं। यह माना जाता है कि जो भक्त श्रद्धा पूर्वक अमरनाथ की यात्रा व बाबा बर्फानी के दर्शन करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसके लिए मोक्ष के द्वार खुलते हैं। यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि दो कबूतर आज भी हर पूर्णिमा को आधी रात को गुफा (Amarnath cave) में आते हैं।
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