डेस्क। माचिस (matchsticks) का उपयोग तो सब करते हैं। आप यह भी जानते हैं कि माचिस के अविष्कार से पहले आग जलाने के लिए पत्थर (stones) का उपयोग किया जाता था और आग को जलाना काफी मुश्किल होता था। माचिस ने इस प्रक्रिया को काफी आसान कर दिया है। ऐसे में एक सवाल यह उठता है कि माचिस की तीली किस लकड़ी (wood) से बनाई जाती है और माचिस का आविष्कार किसने एवं कब किया?
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दरअसल माचिस (matchsticks) की तीली कई प्रकार की लकड़ियों से बनाई जाती है। सबसे अच्छी माचिस की तीली अफ्रीकन ब्लैकवुड (African Blackwood) से बनती है। पोपलर नाम के पेड़ (poplar trees) की लकड़ी भी माचिस की तीली बनाने के लिए काफी अच्छी मानी जाती है। माचिस की तीली पर फास्फोरस का मसाला लगाया जाता है। फास्फोरस अत्यंत ही ज्वलनशील रासायनिक तत्व है। हवा के संपर्क में आते ही अपने आप जल जाता है इसलिए माचिस की तीली पर मिलावटी फास्फोरस लगाया जाता है।

इसमें पोटैशियम क्लोरेट, लाल फॉस्फोरस, ग्लू, पिसा हुआ कांच, सल्फर और स्टार्च की मिलावट की जाती है। यदि सामान्य जलाऊ लकड़ी से माचिस की तीली बनाई गई है तो कई बार उस पर ऐमोनियम फॉस्फेट अम्ल से लेप करते हैं। इन दिनों कई राज्यों में पोपलर के पेड़ (poplar trees) लगाने का चलन बढ़ गया है। किसान अब एक हेक्टेयर खेत में पोपलर के पेड़ लगाकर साथ में सब्जियों की खेती करते हैं, जिससे पेड़ की खेती में अलग से खर्च नहीं करना पड़ता। बता दें कि पोपलर के पेड़ का इस्तेमाल कागज निर्माण से लेकर हल्की प्लाईवुड, चॉप स्टिक्स, बॉक्सेस, माचिस (matchsticks) बनाने में भी किया जाता है।
इस पेड़ (poplar trees) से बना एक ही लट्ठ 2,000 रुपये में बिक जाता है। किसान चाहें तो एक हेक्टेयर खेत में 250 पोपलर के पेड़ लगा सकते हैं। इससे 10 से 12 लाख बाद को मोटी कमाई होगी ही, बीच-बीच में अतिरिक्त आमदनी भी हो जाएगी। माचिस (matchsticks) का आविष्कार 31 दिसंबर 1827 में हुआ था। आविष्कार करने वाले वैज्ञानिक का नाम जॉन वॉकर है जो ब्रिटेन में वैज्ञानिक थे।
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