डेस्क। अमेरिका ने 2 अप्रैल की देर रात अमेरिकी टैरिफ (US tariffs) का ऐलान किया था। जिसके बाद से ही ग्लोबल मार्केट (global market) में हड़कंप मचा हुआ है। एशियाई जापान कोरिया के बाजारों में भारी बिकवाली देखी गई है। वहीं अमेरिकी बाजार का भी बुरा हाल है। आज शेयर बाजार (stock market) का सेंसेक्स 2800 अंक गिर चुका है। निफ्टी में भी लगभग 911 अंक की गिरावट आई है।
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हालांकि इस टैरिफ (tariffs) को लेकर डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि टैरिफ एक तरह की दवा है और कई बार ‘कड़वे घूंट’ पीने पड़ते हैं। ट्रंप के टैरिफ ऐलान के कारण ग्लोबल मार्केट में भारी बिकवाली देखी जा रही है और मंदी का खतरा बढ़ गया है। जानिए आखिर ट्रंप ने टैरिफ का फैसला क्यों लिया और किस तरह इसका असर देखा जा रहा है।
जाने-माने वित्तीय विश्लेषक जिम क्रैमर ने चेतावनी दी है कि बाजार ब्लैक मंडे 2.0 की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के व्यापक टैरिफ (tariffs) निर्णय और वैश्विक तनावों की वजह से यह स्थिति बन रही है। उनका मानना है कि अगर ट्रंप ने हालात को संभालने के लिए कोई रचनात्मक कदम नहीं उठाया तो वैश्विक बाजारों को 1987 जैसी गिरावट का सामना करना पड़ सकता है। चूंकि ट्रंप अपने निर्णयों से पीछे हटते नहीं दिख रहे, इसलिए यह खतरा और भी वास्तविक होता जा रहा है।

कई छोटे देश और यूरोपियन यूनियन भी ट्रंप के टैरिफ (tariffs) का मिलकर मुकाबला करने की बात कर रहे हैं। ऐसे में ग्लोबल टैरिफ वॉर के कारण ग्लोबल इकोनॉमी में मंदी और महंगाई दोनों हावी होगी। ऐसे में फेडरल रिजर्व समेत दूसरे सेंट्रल बैंक की तरफ से इंटरेस्ट रेट को घटाना मुश्किल होगा और जरूरत पड़ने पर इंटरेस्ट रेट बढ़ाया जा सकता है। इंटरेस्ट रेट बढ़ने पर कंजप्शन घटेगा और कॉर्पोरेट लेडिंग पर दबाव बनेगा। नतीजन कॉर्पोरेट ग्रोथ में गिरावट आएगी और जॉब मार्केट का हाल बिगड़ जाएगा।
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