डेस्क। राजपूत योद्धा महाराणा सांगा (Rana Sanga) पर समाजवादी पार्टी के सांसद रामजीलाल सुमन (Ramjilal Suman) की विवादित टिप्पणी के बाद से राजस्थान (Rajasthan) में सियासी घमासान मचा हुआ है। उन्होंने सांगा द्वारा बाबर (Babar) को इब्राहिम लोदी पर हमले के लिए बुलाने की बात कही थी। लेकिन राणा सांगा कौन थे? चलिए आपको बताते हैं।
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राणा सांगा (Rana Sanga) महाराणा कुम्भा के पोते थे। उन्होंने कई युद्ध लड़े, जिनमें उन्होंने अपना एक हाथ, एक पैर और एक आंख खोनी पड़ी थी। यही नहीं उनके शरीर पर 80 घाव थे। इतना सब होने के बाद भी उन्होंने बाबर, जैसे मुगल शासक को पसीने ला दिये थे। उनके नेतृत्व में राजपूत (Rajput) विदेशियों से एक साथ लड़े। वर्ष 1527 में भरतपुर की रूपवास तहसील के खानवा में बाबर के विरुद्ध युद्ध लड़ा था, जिसमें तीर लगने पर वह घायल हो गए थे।
इससे पूर्व बयाना के युद्ध में उन्होंने बाबर को बुरी तरह हराया था। कर्नल जेम्स टाड ने उन्हें हिंदूपत की उपाधि देने के साथ ही उनके शरीर पर घावों क वजह से सैनिक का भग्नावशेष कहा था। राणा सांगा (Rana Sanga) वर्ष 1508 में मेवाड़ के शासक बने थे। उन्होंने अपने जीवन काल में 100 से अधिक लड़ाइयां लड़ी थीं। खानवा के अलावा किसी अन्य युद्ध में उनकी हार नहीं हुई। उनके शरीर पर 80 से अधिक घाव थे। उनकी एक आंख, एक हाथ नहीं था। एक पैर काम नहीं करता था।

कर्नल जेम्स टाड के अनुसार उनके राज्य मेवाड़ की सीमा पूरब में आगरा, दक्षिण में गुजरात की सीमा तक थी। दिल्ली, मालवा, गुजरात के सुल्तानों के साथ उन्होंने 18 युद्ध लड़े और सभी में विजयी रहे। राणा सांगा (Rana Sanga) ने 1517 में खतोली और 1518-19 में धौलपुर में दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराया था। इतिहासकारों का मानना है कि पंजाब का गर्वनर दौलत खान और इब्राहिम लोदी का चाचा आलम खान दिल्ली की गद्दी कब्जाना चाहते थे। उन्होंने बाबर (Babar) को भारत आने का न्योता दिया जबकि इतिहासकार राणा सांगा द्वारा बाबर को बुलाए जाने से इन्कार करते हैं।
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