नई दिल्ली। डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि (Kanimozhi) ने सोमवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) के खिलाफ संसदीय विशेषाधिकार हनन का नोटिस दाखिल किया। यह नोटिस धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) द्वारा संसद (Parliament) में तमिलनाडु की शिक्षा प्रणाली और तीन-भाषा नीति पर उनके रुख के बारे में की गई टिप्पणियों से संबंधित है।
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विवाद तब शुरू हुआ जब शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने कथित तौर पर संसदीय चर्चा (Parliament) के दौरान तमिलनाडु के सांसदों को “असभ्य” कहा। टिप्पणियों से बेहद नाराज कनिमोझी ने “असभ्य” शब्द को अपमानजनक और असंसदीय अभिव्यक्ति बताया। उन्होंने तर्क दिया कि ऐसी टिप्पणियां अस्वीकार्य हैं, खासकर जब वे निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए निर्देशित हों।
उन्होंने आगे कहा, “हमने नोटिस दिया है और मुझे लगता है कि यह यहीं खत्म नहीं होगा… बीजेपी को दक्षिणी राज्यों के विकास को देखने में समस्या हो रही है क्योंकि वे इसे हासिल करने में सक्षम नहीं हैं।” कनिमोझी ने केंद्र सरकार द्वारा तीन-भाषा नीति को संभालने के तरीके पर भी असंतोष व्यक्त किया।

बता दें तीन-भाषा नीति, जो पूरे भारत के स्कूलों में तीन भाषाओं को पढ़ाने का प्रस्ताव करती है, एक विवादास्पद मुद्दा रहा है, खासकर तमिलनाडु जैसे दक्षिणी राज्यों में, जहां अंग्रेजी और तमिल शिक्षा की पसंदीदा भाषाएं रही हैं। डीएमके पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में हिंदी को लागू करने के अपने विरोध के बारे में मुखर रही है, इसे छात्रों के लिए एक अनावश्यक बोझ कहती है। तमिलनाडु ने लंबे समय से दो-भाषा नीति का पालन किया है, जहां तमिल और अंग्रेजी शिक्षा के माध्यम हैं।
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