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Wednesday, September 18, 2024

आखिर 17 सितंबर को ही क्यों मनाते हैं विश्वकर्मा पूजा, जानें रोचक वजह

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डेस्क। हर साल की तरह इस साल भी विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) 17 सितंबर को मनाई जा रही है। भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर (engineer) और वास्तुकार माना जाता है। इस दिन लोग फैक्ट्रियों, उद्योगों और हर तरह की मशीनों की पूजा करते हैं। हिंदू धर्म में व्रत और त्योहारों (festivals) की तिथि में अक्सर बदलाव होता है, लेकिन विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) हमेशा 17 सितंबर को ही मनाई जाती है।

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पंचांग के अनुसार 16 सितंबर को शाम को 07 बजकर 53 मिनट पर सूर्य देव कन्या राशि में प्रवेश कर चुके हैं। ऐसे में आज यानी 17 सितंबर (Vishwakarma Jayanti 2024 Date) विश्वकर्मा पूजा का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) और गणेश विसर्जन (Ganesh Visarjan) का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन पूजा करने के पीछे कई मान्यताएं हैं।

धार्मिक मान्यता है कि कन्या संक्रांति (Kanya Sankranti) के दिन भगवान विश्वकर्मा (Vishwakarma Puja History) का अवतरण हुआ था। इसी वजह से इस दिन को विश्वकर्मा जयंती के रूप में मनाया जाता है। भगवान विश्वकर्मा को स्वर्ग लोक, पुष्पक विमान, कुबेरपुरी जैसे सभी देवनगरी का रचनाकार कहा जाता है। इसके अलावा भगवान विश्वकर्मा ने सोने की लंका और भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) के लिए द्वारका नगरी का निर्माण किया था।

धार्मिक मान्यता है कि इस शुभ अवसर पर भगवान विश्वकर्मा की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना (Vishwakarma Puja) करने से जातक को कार्यक्षेत्र में आ रही बाधा से मुक्ति मिलती है और बिज़नेस में अपार सफलता प्राप्त होती है। हालांकि एक और मान्यता यह है कि विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) सूर्य के पारगमन के अनुसार तय की गई और यह दिन सूर्य संक्रांति (Surya Sankranti) के दिन के रूप में माना जाने लगा। इसलिए यह हर साल 17 सितंबर के आसपास ही पड़ता है और इसी दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है।

Tag: #nextindiatimes #VishwakarmaPuja #AnantChaturdashi

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