डेस्क। कल रक्षाबंधन (Rakshabandhan) का पवित्र त्योहार है। हिंदू धर्म में रक्षाबंधन के त्योहार का विशेष महत्व होता है। वैदिक पंचांग के अनुसार हर वर्ष श्रावण माह (Shravan month) के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन (Rakshabandhan) का त्योहार मनाया जाता है। इस साल रक्षाबंधन (Rakshabandhan) पर भद्रा का साया रहेगा। ऐसी मान्यता है जब भी भद्रा (Bhadra) होती है तो इस दौरान राखी बांधना शुभ नहीं होता है।
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राखी हमेशा भद्राकाल (Bhadra) के बीत जाने के बाद ही बांधी जाती है। शास्त्रों के अनुसार जब भी रक्षाबंधन (Rakshabandhan) पर भद्रा काल रहता है तो उस समय तक राखी बांधना अशुभ होता है। ऐसे में भद्राकाल के दौरान राखी बांधना वर्जित होता है। भद्रा (Bhadra) के शुरू होने से पहले या फिर भद्रा के खत्म होने के बाद ही राखी बांधी जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य (Lord Surya) और पत्नी छाया की पुत्री व भगवान शनि की बहन हैं। भद्रा (Bhadra) के जन्म लेते ही भद्रा बहुत ही उग्र स्वभाव की थीं। भद्रा यज्ञों में विघ्न-बाधा पहुंचाने लगी और मंगल कार्यों में उपद्रव करने लगी तथा सारे जगत को पीड़ा पहुंचाने लगी।

इसके अलावा यह भी मान्यता है कि रावण की बहन ने भद्राकाल (Bhadra) में राखी बांधी थी जिस कारण से रावण का वध प्रभु राम (Lord Rama) के हाथों से हुआ था। पंचाग के अनुसार इस बार रक्षाबंधन (Rakshabandhan) पर भद्रा (Bhadra) 18 अगस्त की अर्धरात्रि में 2 बजकर 21 मिनट से लग जाएगी। यह दूसरे दिन यानी 19 तारीख को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। इस समयावधि के बाद ही राखी बांधना सर्वश्रेष्ठ रहेगा।

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से 4 बजकर 3 मिनट तक रहेगा। इसके बाद शाम को प्रदोष काल में 6 बजकर 39 मिनट से 8 बजकर 52 मिनट तक समय भी शुभ है। बता दें मकर राशि (Capricorn) में चंद्रमा होने की वजह से भद्रा पाताल लोक में निवास करेगी, इसलिए रक्षाबंधन (Rakshabandhan) वाले दिन भद्रा दोष भी नहीं लगेगा। स्वर्ग लोक और पाताल लोक निवासरत भद्रा (Bhadra) विशेष अशुभ नहीं होती है। कुछ ज्योतिषाचार्यों ने भद्रा के अंतिम तीन घटी को भद्रा का पुच्छ मानकर उसको शुभ बताया है।
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