डेस्क। अगर आप रियासतों, स्वतंत्रता आंदोलन (freedom movement) आदि में रूचि रखते हैं तो स्मृतियों के झरोखे से तुलसीपुर (Tulsipur) नामक पुस्तक आपको अतीत के झरोखों में ले जाने के लिए विवश कर देती है। इस पुस्तक के लेखक हैं पवन बख्शी। इनका जन्म यूपी (UP) के तुलसीपुर नामक शहर में हुआ। शायद यही वजह है कि इस पुस्तक को तुलसीपुर (Tulsipur) नाम से जोड़ा गया है। पवन बख्शी एक शिक्षक और प्रसिद्ध साहित्यकार बने। अब तक इनकी लगभग चालीस पुस्तकें (books) प्रकाशित हो चुकी हैं।
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अब अगर बात की जाए स्मृतियों के झरोखे से तुलसीपुर (Tulsipur) नामक पुस्तक की तो इस पुस्तक में आपको एक ही जगह पर कई विषय पढ़ने को मिल जायेंगे। जैसे कि तुलसीपुर (Tulsipur) का इतिहास, राज्य और रियासतों का विवरण, स्वतंत्रता आंदोलन (freedom movement) और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, मुख्य बुद्धिजीवी कवि और साहित्यकार के बारे में आप इस पुस्तक के माध्यम से भली-भांति परिचित हो सकते हैं। पुस्तक को प्रयागराज के अमृतब्रह्म प्रकाशन (Amritbrahma Publications) ने प्रकाशित किया है; जिसकी कीमत मात्र 250 रूपये रखी गई है।
इस पुस्तक में सन 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में यहां की रानी ईश्वरी देवी की अद्भुत वीरता का तथ्यपरक विवरण दिया गया है। रानी ईश्वर देवी ने बेगम हजरत महल को शरण दी और अंग्रेजों से उनकी जान बचाई। रानी ईश्वरी देवी का प्रतिरोध प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अन्तिम प्रतिरोधों में एक माना जाता है। यह पुस्तक का अत्यंत महत्वपूर्ण भाग है। इस (Tulsipur) पुस्तक में हनुमान चालीसा लिखने वाले स्थानीय संत तुकाराम का परिचय भी समाहित है।

देवी जगदम्बा से सम्बंधित इक्यावन शक्तिपीठों में से एक पीठ तुलसीपुर में भी है जो देवीपाटन शक्तिपीठ के नाम से प्रसिद्ध है जिसका सुंदर विवरण इस पुस्तक में दिया गया है। आज के परिदृश्य में जहां लोग अपनी जन्मस्थली के बारे में उसके नाम के अलावा कुछ ज्यादा नहीं जानते हैं ऐसे में इस पुस्तक की एक अलग ही महत्ता हो जाती है। इस पुस्तक में मानो लेखक ने अपनी लेखनी से अपनी जन्मस्थली का पूरा इतिहास ही एक जगह पर उड़ेल दिया हो। कुल मिलाकर तुलसीपुर (Tulsipur) और इसके आसपास के स्थानीय इतिहास प्रेमियों एवं शोधकर्ताओं के लिए यह पुस्तक काफी मददगार एवं अत्यंत महत्वपूर्ण रचना है।
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