अयोध्या। प्रभु श्रीराम को विरजमान करने के लिए लगातार विधि-विधान से पूजा (Worship) की जा रही है। रामलला (Ramlala) की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह (Pran Pratistha ceremony) का आज (शनिवार) को पांचवा दिन है। आज का दिन इस विधि-विधान के लिए काफी खास है। आज से अस्थायी गर्भगृह में प्रभु (Ramlala) के दर्शन नहीं होंगे।
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अब अस्थायी गर्भगृह में भगवान रामलला (Ramlala) का दर्शन नहीं होगा। अब 23 जनवरी से दोबारा दर्शन आरंभ होगा, लेकिन नवनिर्मित भव्य, दिव्य राम मंदिर में। वैकल्पिक गर्भगृह में विराजमान रामलला को नवर्निर्मित राममंदिर (Ramlala) के गर्भगृह में स्थानांतरित किया जाएगा। इसके लिए स्वर्ण मंडित आधार तैयार किया गया है। आज विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार और काशी के उद्यमी सूर्यकांत जालान भी प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान (Pran Pratistha ceremony) में यजमान की भूमिका निभाएंगे। दूसरे मेजबान विहिप अध्यक्ष डॉ. आरएन सिंह भी शुक्रवार शाम अयोध्या पहुंचे। प्राण प्रतिष्ठा समारोह (Pran Pratistha ceremony) से पहले अमृत महोत्सव लेजर शो का आयोजन किया गया।
रामलला (Ramlala) की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा (Pran Pratistha ceremony) की अपार खुशी का प्रतीक दशरथ दीप शुक्रवार को दिन ढलते ही प्रज्ज्वलित हो उठा। तपस्वी छावनी के तुलसीबाड़ी परिसर में स्थापित इस दीपक की परिधि 300 फीट है। इसमें सवा क्विंटल रुई की बाती के साथ 21 हजार लीटर तेल (oil) का इस्तेमाल हुआ। इस मौके पर काशी के सुमेरु पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती समेत बड़ी संख्या में साधु-संत और श्रद्धालु मौजूद रहे।
रामलला (Ramlala) की नई मूर्ति की आंखें फिलहाल ढक दी गई हैं। इन्हें 22 जनवरी को खोला जाएगा। अभी रामलला सिर्फ सूखे मेवे ही खाएंगे। 22 जनवरी को उन्हें छप्पन भोग लगाया जाएगा। आज रामलला (Ramlala) विराजमान भी लकड़ी के मंदिर से नए भव्य मंदिर (temple) में चले जाएंगे। उनके लिए पहले से ही जगह बनाई जा चुकी है।
आज नए देवता को कमल के फूलों से प्रतिष्ठित (Pran Pratistha ceremony) किया जाएगा और मंदिर को 81 घड़ों के जल से शुद्ध किया जाएगा। आज उत्सव के पांचवें दिन भगवान राम के पांच धामों की दैनिक पूजा और हवन पारायण के साथ शुरुआत होगी। भगवान को चीनी, फल, प्रसाद, पिंड और फूल में विराजित किया जाएगा।
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