बैंकॉक। म्यांमार (Myanmar) में केंद्रित एक शक्तिशाली भूकंप (earthquake) ने शुक्रवार को दक्षिण-पूर्व एशिया को हिलाकर रख दिया। इस कारण म्यांमार में इससे 694 लोगों की मौत हो गई और 732 लोग घायल हो गए। भूकंप की वजह से म्यांमार और थाईलैंड (Thailand) में काफी नुकसान हुआ है। म्यांमार में सत्तारूढ़ सेना जुंटा ने कई क्षेत्रों में आपातकाल की घोषणा कर दी है।
यह भी पढ़ें-मणिपुर में भूकंप के दो जोरदार झटके, डरकर घरों से भागे लोग
अमेरिका के जियोलॉजिकल सर्वे (यूएसजीएस) ने बताया कि भूकंप की तीव्रता 7.7 थी और यह 10 किलोमीटर की गहराई पर था। भूकंप (earthquake) का केंद्र म्यांमार (Myanmar) के शहर मांडले से लगभग 17 किलोमीटर दूर था, जिसकी आबादी लगभग 15 लाख है। हर भूकंप हमें उस धरती के नीचे की तीन परतों की याद दिला देता है, जिस पर हम खड़े है। म्यांमार (Myanmar) में आया जोरदार भूकंप (earthquake) एक बार फिर सवाल उठाता है कि आखिर इन इलाकों में बार-बार भूकंप क्यों आते हैं? आइए, इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों और इतिहास को विस्तार से समझते हैं।

हिमालय की कहानी करीब 7 करोड़ साल पहले शुरू हुई, जब इंडियन प्लेट उत्तर की ओर बढ़ने लगी। यह प्लेट, जो कभी गोंडवानालैंड का हिस्सा थी, धीरे-धीरे यूरेशियन प्लेट की ओर खिसकती गई। लगभग 1 करोड़ साल पहले इन दोनों प्लेटों का टकराव हुआ। यह टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि जमीन ऊपर की ओर उभरने लगी और हिमालय जैसी विशाल पर्वत श्रृंखला का जन्म हुआ। इंडियन प्लेट अभी भी यूरेशियन प्लेट के नीचे हर साल 4 से 5 मिलीमीटर की दर से खिसक रही है।

इस खिसकाव के कारण हिमालय की ऊंचाई में भी इजाफा हो रहा है लेकिन यही गतिविधि इस क्षेत्र में भूकंप का प्रमुख कारण भी है। अगर हम भूकंपीय (earthquake) मैप पर नजर डालें, तो कांगड़ा से लेकर उत्तराखंड, बिहार और शिलांग तक एक सेंट्रल साइज्मिक गैप दिखता है। यह वह क्षेत्र है, जहां प्लेटों के बीच लगातार दबाव बन रहा है, जो समय-समय पर भूकंप के रूप में बाहर निकलता है।
Tag: #nextindiatimes #earthquake #Myanmar