नई दिल्ली। संसद भवन (Parliament attack) पर साल 2001 में हुए आतंकवादी हमले की आज 22 वीं बरसी है। 13 दिसंबर 2001 में आतंकियों ने संसद भवन (Parliament attack) पर हमला (attack) किया था। इस हमले में देश के 9 वीर सैनिक शहीद हो गए थे। हमले को अंजाम देने वाले सभी पांच आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया था।
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संसद (Parliament attack) हमले की बरसी के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, “राष्ट्र हमेशा उन बहादुर सुरक्षा कर्मियों का ऋणी रहेगा जिन्होंने 2001 के आतंकवादी हमले में अपनी जान कुर्बान कर दी।” आतंकी हमले (terrorist attack) की बरसी के मौके पर देश के उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़(Jagdeep Dhankhar), पीएम मोदी, लोकसभा सांसद ओम बिरला अमित शाह, मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) समेत कई सांसदों ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस मौके पर शहीदों के परिवारजन भी मौजूद थे। श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद पीएम मोदी ने शहीदों के परिवार वालों से मुलाकात की और उनका हालचाल पूछा और सांत्वना दी। आपको बता दें देश में लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर भारतीय संसद (Parliament attack) पर 22 साल पहले 13 दिसंबर 2001 को पाकिस्तान की शय पर आतंकवादियों (terrorists) ने हमला किया था। उस हमले में 9 लोग मारे गये थे ,जिसमें 6 सुरक्षाकर्मी, संसद के 2 सुरक्षाकर्मी और एक माली की भी मौत हो गई थी। देश के सबसे सुरक्षित जोन में से एक संसद (Parliament) के सुरक्षा घेरे को भेद कर आतंकी संसद में दाखिल हो गए थे, लेकिन मौके पर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने अपने जान की बाजी लगाकर संसद भवन के भीतर प्रवेश करने से रोक दिया।
CPRF कांस्टेबल कमलेश कुमारी आतंकियों की गोली का पहला शिकार बनती हैं। अगले करीब 45 मिनट तक संसद (Parliament attack) परिसर जंग का मैदान बना रहा। उस हमले में सुरक्षाकर्मियों समेत नौ लोग मारे गए थे, 18 घायल हुए थे। गनीमत रहीं कि कोई सांसद इन आतंकियों का निशाना नहीं बना। पढ़िए, लोकतंत्र के मंदिर पर हुए सबसे बड़े हमले की पूरी कहानी।
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