पूरे देश में वट सावित्री व्रत की धूम, सुहागिनों ने की बरगद की पूजा

डेस्क। आज वट सावित्री व्रत है। विभिन्न जगहों पर ये व्रत बड़ी धूम-धाम से मनाया जा रहा है। महिलाएं भक्तिभाव के साथ वट सावित्री का व्रत कर बरगद वृक्ष की परिक्रमा कर अपने पति के लंबी उम्र की कामना कर रहीं है।
सुबह से ही वट वृक्ष की पूजा-अर्चना करने के लिए महिलाओं का तांता लगा रहा। उन्होंने वट वृक्ष की पूजा कर अपने पति की लंबी आयु की कामना की। सनातन धर्म में वट वृक्ष पर त्रिदेव का वास माना जाता है। बरगद की जड़ में ब्रह्मा जी, तना में विष्णु जी और शाखाओं में भगवान शिव का वास होता है। बरगद पेड़ का पर्यावरण संरक्षण में बड़ा योगदान है। कहा जाता है कि आम के पेड़ की अपेक्षा बरगद का पेड़ 20 घंटे तक ज्यादा ऑक्सीजन का उत्सर्जन करता है। इसलिए लोग इसे सींचते भी हैं। उन्होंने लोगों से अपील की बरगद का पेड़ लगाएं ताकि पर्यावरण संतुलित रह सके।
यह त्योहार ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या के दिन मनाया जाता है, जिसका विवाहित स्त्रियों के जीवन में बहुत महत्व है। इसी दिन माता सावित्री कड़ी तपस्या के बाद यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण बचाकर ले आई थीं। इस उपवास में वट वृक्ष की पूजा अर्चना की जाती है। यह पूजा बरगद के पेड़ की परिक्रमा करने के साथ संपन्न होती है। यह पर्व आज भारत में मनाया जा रहा है। ऐसे में हम आपको यहां पर इससे जुड़े कुछ जरूरी नियम बताने जा रहे हैं उन महिलाओं के लिए जो विवाह के बाद पहली बार यह उपवास करने वाली हैं, ताकि इस व्रत के पूजा पाठ में उनसे किसी तरह की गलती ना हो।
पहली बार वट सावित्री व्रत रखने वाली महिलाएं करें ये :
सबसे पहले बता दें इस व्रत की पूजन सामग्री। आपको वट सावित्री की पूजा के लिए कच्चा सूत, अक्षत, सिंदूर, सुहाग का सामान, बांस का पंखा, लाल कलावा, धूप, मिट्टी का दीया, घी, बरगद का फल, मौसमी फल, फूल, इत्र, सुपारी, रोली, बताशे, सवा मीटर कपड़ा, नारियल, पान, दुर्वा घास और मिठाई चााहिए। जो महिलाएं पहली बार वट सावित्री का व्रत रख रही हैं, उन्हें व्रत और पूजन के दौरान सुहाग की सामग्री मायके से दी गई इस्तेमाल में लानी चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजा में मायके की सुहाग सामग्री का इस्तेमाल करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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