खाड़ी देशों और पाकिस्तान से आने वाली कॉल को करते थे डायवर्ट, कानपुर से धरे गए शातिर

कानपुर। कानपुर शहर में पकड़े गए अवैध टेलीफोन एक्सचेंज एक साल से भी अधिक समय से चल रहे थे। क्योंकि जाजमऊ में तीसरे एक्सचेंज के लिए मकान पिछले साल जून में किराये पर लिया गया था। ऐसे में एटीएस अफसरों ने अनुमान लगाया है कि बाकी दो एक्सचेंज इससे पहले चल रहे थे।

एक साल में इन लोगों ने केंद्र सरकार को करीब डेढ़ करोड़ रुपये का चूना लगाया है। अफसरों के मुताबिक इंटरनेशनल कॉल की वास्तविक लागत आठ से 16 रुपये प्रति मिनट है। ये लोग अवैध टेलीफोन एक्सचेंज की मदद से 50 पैसे से एक रुपये के बीच में बात कराते थे। पकड़े गए आरोपियों को मुंबई का नाजिम एक्टिव सिम जारी कराता था, जिनके जरिये गिरोह का धंधा चल रहा था। बता दें कि अवैध एक्सचेंज करीब एक साल से चल रहे थे।

आरोपी टेलीकॉम कंपनी से इंटरनेट कनेक्शन लेकर गेटवे के माध्यम से सर्वर में कनेक्ट होकर कॉलिंग कंट्रोल करते थे। इंटरनेशनल कॉल को देश में गेटवे के माध्यम से लैंड करवाया जाता था। ऐसे में जिस नंबर से फोन आता था, वह विदेश का दिखने के बजाय लोकल का दिखता था।

एनीडेस्क रिमोट एप्लीकेशन से कंट्रोल कर रहा था:

आईएसडी कोड भारत का दिखने की वजह से नंबर लोकल रहता था। पूरे एक्सचेंज को नाजिम मुंबई से एनीडेस्क रिमोट एप्लीकेशन के माध्यम से कंट्रोल कर रहा था। आरोपी खाड़ी देशों और पाकिस्तान से आने वाले कॉल को डायवर्ट कराकर कानपुर, लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के कई शहरों के लोगों की कॉलिंग करा रहे थे।

शहर में चल रहे तीनों अवैध टेलीफोन एक्सचेंज को शाहिद मुंबई में बैठे नाजिम नसीम खान उर्फ नाजिम पटेल की मदद से चला रहा था। एटीएस को पूछताछ में पता चला है कि कहने को तो कानपुर में शाहिद ही इस एक्सचेंज को चला था लेकिन इसका असल सरगना मुंबई निवासी नाजिम नसीम खान ही है।

पैसे कमाने की लालच में दोनों करने लगे अवैध काम:

एटीएस की पूछताछ में पता चला कि शाहिद जमाल बेकनगंज निवासी है और 10वीं पास है। वह 2017 में मुंबई में अवैध टेलीफोन एक्सचेंज के मामले में पहले ही जेल जा चुका है। वहीं मिर्जा असद सिविल लाइन निवासी है। वह 12वीं पास दर्जी है। ज्यादा पैसे कमाने की लालच में दोनों अवैध काम करने लगे थे।

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