यूपी बोर्ड परीक्षा में उड़ाका दल पर भारी पड़ते दिख रहे हैं नकल माफिया

कौशांबी। माध्यमिक शिक्षा परिषद की बोर्ड परीक्षा वर्ष 2023 में कौशांबी जिले में फिर बीते वर्षों की तरह इस वर्ष भी बड़ा खेल हुआ है। बोर्ड परीक्षा केंद्र में बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित किए जाने के बाद बाहरी व्यक्तियों को ही बोर्ड परीक्षा का दायित्व सौंप दिया गया है।
सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि शिक्षक ही कक्ष निरीक्षक होंगे लेकिन बोर्ड परीक्षा में जिन्हें कक्ष निरीक्षक बनाया गया है। उनमें आधे लोगों के पास शिक्षक की डिग्री योग्यता नहीं है लेकिन फिर भी बिना योग्यता वाले लोगों को बोर्ड परीक्षा में कक्ष निरीक्षक का दायित्व सौंपकर बोर्ड परीक्षा निष्पक्ष कराने का झूठा दावा किया जा रहा है। आखिर किस दबाव में बिना योग्यता के लोगों को कक्ष निरीक्षक बनाया गया है यह बड़ी जांच का विषय है बोर्ड परीक्षा में बाहरी लोगों को कक्ष निरीक्षक बनाए जाने के मामले में एसआर रजिस्टर से जांच करा ली जाए तो जिला विद्यालय निरीक्षक का काला कारनामा बेनकाब हो जाएगा।
जब अधिकारियों की ही मंशा बोर्ड परीक्षा को निष्पक्ष कराने की नहीं थी कक्ष निरीक्षकों की तैनाती में ही खेल शुरू हो गया है तो फिर निष्पक्ष परीक्षा का उनका दावा कहां तक खरा उतरेगा यह जन जन चर्चा का विषय है। बोर्ड परीक्षा से जुड़े अधिकारी भले ही निष्पक्ष परीक्षा कराए जाने का दावा कर रहे हो लेकिन सब कुछ बीते वर्षो की तरह इस वर्ष भी परीक्षा केंद्रों में खुलेआम चल रहा है। बीते कई वर्षो से बोर्ड परीक्षा में धांधली कर मालामाल हुए नकल माफिया इस वर्ष भी अपनी आदत से बाज आते नहीं दिख रहे हैं। दर्जनों नकल माफियाओं द्वारा बड़ी योजनाबद्ध तरीके से नकल की निष्पक्षता को तार-तार किया जा रहा है।
हालांकि प्रशासन की ओर से भी विभिन्न प्रकार के उड़ाका दल की तैनाती कर बोर्ड परीक्षा में नकल रोकने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन उड़ाका दल पर नकल माफिया भारी पड़ते दिख रहे हैं। तमाम ऐसे विद्यालयों को भी बोर्ड परीक्षा केंद्र बनाया गया है जिनके विद्यालय भवन मानक कों नहीं पूरा कर रहे हैं जिन्हें गलत तरीके से मान्यता दी गई है। उनकी मान्यता की जांच करा कर उनकी मान्यता निरस्त करने के बजाए गलत विद्यालयों को भी बोर्ड परीक्षा केंद्र बना दिया गया है। इसके पीछे बीते वर्षों की तरह धन उगाही का भी आरोप शिक्षा समित पर लगता रहा है।
सवाल उठता है कि शिक्षकों के अलावा अन्य लोगों को कक्ष निरीक्षक बनाए जाने के मामले में जिला विद्यालय निरीक्षक ने इतनी बड़ी लापरवाही क्यों की है इसके पीछे इनका क्या स्वार्थ छिपा हुआ था। यह जगजाहिर है बीते वर्षों में भी बाहरी लोगों को कक्ष निरीक्षक बनाकर विद्यालय में प्रवेश कराने के मामले में पूर्व के जिला विद्यालय निरीक्षक को निलंबित तक होना पड़ा था क्या इस वर्ष भी बाहरी लोगों को कक्ष निरीक्षक बनाए जाने के मामले में जिला विद्यालय निरीक्षक को निलंबित कर उनके आचरण की शासन जांच कराएगा। बाहरी लोगों को कक्ष निरीक्षक बनाकर बोर्ड परीक्षा में प्रवेश कराए जाने के मामले में जुबान खोलने को कोई तैयार नहीं है। गलत तरीके से कक्ष निरीक्षकों की तैनाती के मामले में यदि शासन ने संज्ञान लिया तो जिला विद्यालय निरीक्षक की मुसीबत बढ़ना तय है। इस मामले में जिला विद्यालय निरीक्षक से बात कर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया लेकिन फोन न उठने के कारण जिला विद्यालय निरीक्षक से बात नहीं हो सकी है।
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