नए विधानसभा भवन का मिथक ऐसा कि एक कार्यकाल में 200 विधायक भी न बैठ पाएं, ये हैं वजह…

राजस्थान की गहलोत सरकार के विधायक गजेंद्र शेखावत का बुधवार सुबह नयी दिल्ली के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार शेखावत 48 लीवर इंफेक्शन से पीड़ित थे और वह कोरोना से भी संक्रमित पाए गये थे। गजेंद्र शेखावत के निधन से गहलोत सरकार के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। आने वाले उपचुनाव गहलोत सरकार के लिए एक बड़ी चुनोती है, गहलोत सरकार के लिए एक अग्नि परीक्षा साबित हो सकती है।  आप को बता दे विधानसभा में कांग्रेस का जो संख्या बल है वह कम हो चुका है। 
 प्रदेश में अगले महीने यानि फरवरी से ही बजट सत्र संभावित है जो मार्च के अंत तक चलेगा। आप को बता दे नियम के अनुसार विधायक गजेंद्र शेखावत के निधन के छह महीने में ही खाली सीट पर उपचुनाव करवाकर परिणाम जारी करने होते हैं। परिणाम के बाद 14 दिनों में नए विधायक को शपथ दिलवानी जरूरी होती है। विधायक कैलाश त्रिवेदी का 6 अक्टूबर को निधन हो गया था। इस हिसाब से मार्च तक चुनाव पूरे होकर परिणाम भी जारी करना आवश्यक होगा। आप को बता दे इस समय सरकार बजट सत्र में रहेगी। ऐसे में यही है कि ये उपचुनाव फरवरी में ही संपन्न होने होंगे। 


अगर नतीजे अच्छे हुए तो सरकार का पक्ष मजबूत होगा सरकार बजट के नतीजे मजबूत रखेगी वरना विपक्ष को मौका मिल जाएगा वार करने का। कांग्रेस के लिए यह स्थिति ठीक नहीं होगी। मंत्रिमंडल में फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियों में हो रही देरी से पहले ही पार्टी में असंतोष पनप रहा है। विधानसभा की दलीय स्थिति की बात करें तो अभी कांग्रेस के 104, भाजपा के 71, आरएलपी के 3, निर्दलीय के 13, सीपीएम के 2, बीटीपी के 2 और आरएलडी के 1 विधायक शामिल हैं। इस हिसाब से अब सदन में 196 सदस्य ही रह गए गए हैं, वहीं कांग्रेस के 3, भाजपा के एक एमएलए की मौत हो गई है। 

नए विधानसभा भवन का मिथक ऐसा कि एक कार्यकाल में 200 विधायक एक साथ नहीं बैठ पाए
वहीं, राज्य के नए विधानसभा भवन के साथ एक मिथक भी जुड़ा हुआ है। आप को बता दे नए विधानसभा भवन में एक कार्यकाल में 200 विधायक एक साथ नहीं बैठ पाए। आपको बता दें कि, साल 2000 में विधानसभा भवन का निर्माण श्मशान भूमि पर हुआ और 2001 में विधायक इसमें शिफ्ट कर दिए गए। तभी से यह मिथक इसके साथ जुड़ गया है। पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने भी विधानसभा में इस मुद्दे को उठाते हुए सदन को गंगाजल से धोने की मांग भी कर दी थी। यहां तक की इस भवन में पूजा-हवन करवाने की मांग भी हुई है।

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