जीते जी अत्याचार, मरने के बाद भी अन्याय क्यों?

वर्तिका अरोड़ा/कहने को तो हमें 73 वर्ष हो गये आज़ाद हुए मगर क्या हम सच में हम आज़ाद है? भारत में ओछी राजनीति करने वाले ख़त्म नहीं हुए, यहां ओछी राजनीति कभी बंद नही हुई, कहने को तो अंग्रेज यहां से चले गये मगर यहां अपने ही देश के लोग अपनों को ही गुलाम बनाने में लगे हुए हैं, यहाँ धर्म, जातिवाद को लेकर आज भी वही हाल है। यहाँ विशेष वर्ग के लोग ही छोटे वर्ग के लोगों का शोषण करने में लगे हुए हैं। घरो में जबरन मजदूर बना के रखना, मजबूरन मज़दूरी कराना और बहू-बेटियों के साथ ज़ोर-ज़बरदस्ती करना, उनका शोषण करना, यहां एक दूसरे को नीचा दिखाने में लगे हैं और जाति और धर्म के आधार पर बाँटने में लगे हैं। जहाँ छोटी जात वाले तो ढंग से अपनी खुशी भी जाहिर नहीं कर सकते। आपने कोई ऐसी फ़िल्में, सोशल मीडीया पर ट्रेनडिंग न्यूज़ और वेब सीरीस तो देखी ही होगी, अभी हाल ही में रिलीस हुई आश्रम तो जरुर देखी होगी कि कैसे उसमे महिलाओं के साथ ज़ोर-ज़बरदस्ती और शोषण होता है।
क्या नीचे वर्ग के लोगों के हिस्से में सिर्फ़ उचे वर्ग की सेवा करना, उनकी गुलामी करना ही आता है? क्यूं उन्हें शिक्षा का भी अधिकार नहीं मिल पाता? सरकार की नीतियों की तो लंबी लिस्ट है मगर वह किस काम की जब बाल विवाह जैसी प्रथा अभी भी है।