पुलिस की सख्ती से बिलबिला उठे माफ़िया के करीबी..!

फतेहपुर। माफिया अतीक़ की हत्या के बाद भले ही यूपी की कानून ब्यवस्था पर सवाल उठे हों मगर लोगों ने दबी जुबान माफिया की हत्या को जैसी करनी वैसी भरनी बताया है। माफिया की मौत से भले ही उनके करीबियो में शोक की लहर थी मगर उनके सताए सैकड़ो परिवारों को न्याय मिलने की खुशी भी थी।

असल मे माफियाओ की ताकत व धनबल के आगे पहले तो कोई शिकायत करने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाता था अगर जुटा भी लिया तो या तो पीड़ित समझौता कर लेता था या फिर अपने ही मुकदमे में पैरवी करना छोड़ देता है तभी तो मुकदमो की एक लंबी फेहरिस्त के बाद भी माफियाओ को सजा नहीं हो पाती। गवाह मौत के भय से या तो पलट जाते हैं या फिर मार दिए जाते हैं। माफिया अतीक़ के खिलाफ भी एक सैकड़ा से अधिक मुक़दमे दर्ज थे फिर भी चार दशक से उसकी यूपी सहित कई प्रान्तों में तूती बोलती रही। इस बड़े गैंग में सिर्फ गुंडे ही नहीं बल्कि सिस्टम में बैठे कई लोग शामिल थे। ऐसे माफ़ियाओ को समाज मे रॉबिनहुड बनाने के लिए एक पूरा नेक्सेस काम करता है जिसमे समाजसेवी, अधिकारी, पुलिस, वकील और पत्रकार भी होते हैं जिन पर ये अपनी काली कमाई का बड़ा हिस्सा खर्च करते हैं।

फ़तेहपुर में भी अतीक़ की ही तरह रज़ा मोहम्मद का बड़ा नेक्सेस है अतीक़ अहमद की ही तरह फ़तेहपुर के गैंगेस्टर रजा मोहम्मद की 21 मुकदमो की लंबी फेहरिस्त है मगर आज तक किसी मामले में इसको सजा नहीं हो सकी। सिस्टम के सहयोग से रज़ा मोहम्मद भी तीन दशक तक राज करता रहा मगर पहली बार भाजपा नेता फैजान रिजवी को पीटने पर उसे जेल की हवा खानी पड़ी। रज़ा मोहम्मद 1992 से गैंगेस्टर व हिस्ट्रीशीटर है। सदर कोतवाली के बोर्ड में उसका नाम हिस्ट्रीशीटर के रूप में दशकों से लिखा है फिर भी उसको समाजसेवी के रूप में पेशकर उसका गैंग लोगों को छलता रहा है। रजा मोहम्मद की मां नजाकत खातून समाजवादी पार्टी से फ़तेहपुर की चेयरमैन रही हैं लेकिन इस बार पार्टी ने उनका टिकट काट दिया।

चर्चा थी कि उनके गैंगेस्टर पुत्र रज़ा मोहम्मद को सपा से टिकट मिलेगा लेकिन पार्टी ने शायद बड़ा आपराधिक कैरियर होने की वजह से गैंगेस्टर से किनारा कर लिया है। ऐसे में माफिया का नाम चुनाव में जिंदा रखने के लिए उसके पक्ष में माहौल बनाने की पुरजोर कोशिश जारी है। सोशल मीडिया में माफिया ने पूरे गैंग को सक्रिय कर दिया है माफिया के गुर्गों ने स्वामी भक्ति के लिए गैंगेस्टर का गुणगान व पुलिस की कार्रवाई को गलत बताकर जनता को भ्रमित करना शुरू कर दिया है।

माना जा रहा था कि अतीक़ से रिश्ते होने के अंदेशे पर 37 लोगों के घर में पुलिस ने छापेमारी की थी छापेमारी से घबराए गुंडे, माफिया व अराजकतत्व घर छोड़कर फरार हो गए थे। गुंडों के फरार होने बाद पुलिस ने कुछ सख्ती क्या दिखाई, माफिया के गुर्गे बिलबिला उठे। जिसके बाद अतीक़ और रज़ा की कार्रवाई को गलत बताने वाले गुर्गों ने एक पार्टी विशेष के पक्ष में माहौल बनाना शुरू कर दिया। ये अलग बात है कि गैंगेस्टर का साथ देने की जल्दबाजी में गुर्गे अतीक़ को भी महान बताकर उस पर हो रही कार्रवाई को गलत बताकर उसे मौन समर्थन देकर अपने रिश्ते स्वयं जगजाहिर कर डाले। अब देखने की बात यह होगी कि पुलिस इस नेक्सेस के तारो को जोड़कर क्या उन गिरेबानो तक पहुंच पाएगी जो कथित चोला ओढ़कर माफियाओ का साथ दे रहे हैं।

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