‘किसी’ को बचाने के लिए विकास दुबे का मरना जरूरी था! पढ़िए…इनकाउंटर की पूरी कहानी। वो सवाल जो विकास की मौत के साथ दफन हो गए!

कानपुर के बिकरू गांव में डीएसपी सहित आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाला पांच लाख का इनामी विकास दुबे एनकाउंटर में मारा गया। एसटीएफ गाड़ी से विकास दुबे को कानपुर ला रही थी। तभी वह गाड़ी पलट गई जिसमें विकास बैठा था। विकास ने पुलिस के हथियार छीनकर भागने की कोशिश की। तभी पुलिस ने विकास दुबे को मुठभेड़ में मार गिराया। हालाकिं विकास दुबे के इस तरह से हुए इनकाउंटर से किसी को कोई सहानुभूति नहीं है लेकिन विकास दुबे के इनकाउंटर से जुड़े कुछ ऐसे सवाल हैं जो सबके जहन में चल रहे हैं।  

मीडिया की गाड़ियां को जबरन क्यों रोका गया?

 जो गाड़िया उज्जैन से एसटीएफ के पीछे-पीछे आ रही थीं उनको घटनास्थल से करीब 20 किलोमीटर पहले पुलिस ने रोक दिया था और उसके बाद तुरंत इनकांउटर हो जाता है।

इतने बड़े अपराधी के हाथ क्यों नहीं बांधे गए?

सवाल उठ रहे हैं कि विकास दुबे एक गैंगस्टर था। जिसने 8 पुलिसकर्मियों की हत्या की थी जो जब अपराधी इतना बड़ा था तब उसके हाथ क्यों नहीं बांधे गए।

पुलिस ने अपने हथियार सुरक्षित क्यों नहीं रखे?

गैंगस्टर विकास दुबे के साथ गाड़ी में बैठे जिन पुलिसकर्मियों की पिस्तौल विकास दुबे ने छीनी थी तो क्या इतने बड़े अपराधी के सामने बैठकर पिस्तौल को सुरक्षित रखना चाहिए था।

विकास जिस गाड़ी में बैठा था वो नहीं पलटी

जो गाड़ी पलटी है और जिस गाड़ी में विकास बैठा था वह दोनों गाड़ियां मीडिया रिपोर्ट में अलग-अलग बताई जा रही हैं।

कितनी गोलियां चली?

 इनकाउंटर में कितनी गालियां चलाई गईं इस सवाल पर पुलिस के बड़े अधिकारी स्पष्ट नहीं हैं।

एक आईपीएस का अंदेशा सही कैसे निकल गया?

अमिताभ ठाकुर ने बीस घंटे पहले किया था ट्वीट- यूपी के आईपीएस आईजी अमिताभ ठाकुर ने बीस घंटे पहले ट्वीट किया था कि हो सकता है विकास हिरासत से भागने की कोशिश में मारा जाए और हुआ भी यही।

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