अखिलेश यादव का बजट पर कटाक्ष, पूछा- किसानों और युवाओं के लिए क्या व्यवस्था है?

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि केन्द्रीय वित्तमंत्री के बजट में गरीबों, महिलाओं, किसानों, नौजवानों और मध्यम वर्ग के लोगों को राहत के नाम पर कुछ मिला नहीं, कर्ज और राष्ट्रीय सम्पत्ति बेचकर सत्ता सुख भोगने का जुगाड़ अवश्य करने की साजिश को परवान चढ़ाया गया है। यह बजट दिशाहीन और निराशाजनक है। डबल इंजन की सरकार को भी एक तरह से झटका दिया गया है। क्या इस बजट से 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बन सकेगी?

सरकार ने वादों का पिटारा खोला
बजट पर बोलते हुए अखिलेश यादव ने कहा है कि बीजेपी सरकार ने इस बजट के माध्यम से कई राज्यों में होने वाले आगामी चुनावों के लिए थोथे वादों का पिटारा खोला है और कारपोरेट घरानों को देश-प्रदेश का भाग्य नियंता बनाया गया है। रेल, रोड, पुल, बीमा, बंदरगाह, एयरपोर्ट और बैंक तक को बेचने की तैयारी है। 100 सैनिक स्कूल खुलेंगे उनमें भी एनजीओ का सहयोग लेने की बात है। प्रच्छन्नरूप से आरएसएस को इसमें भागीदार बनाने का यह षडयंत्र है।
एमएसपी पर सरकारी रूख संदिग्ध
किसानों की बात रखते अखिलेश यादव ने बताया कि बजट में कृषि के काम आने वाले डीजल पर 4 रूपये और पेट्रोल पर 2.50 रूपये प्रति लीटर कृषि सेस लगा दिया गया है। यूरिया, डीएपी खाद मंहगी कर दी गई है। 2022 आने में दस माह ही बचे है लेकिन अभी तक किसानों की आय दुगनी करने की कोई ठोस योजना सामने नहीं आई पर कृषि सुधार का ढोंग खूब है। एमएसपी पर सरकारी रूख पूर्ववत संदिग्ध हैं किसान को सुनिश्चित आय मिलने की दिशा में कोई संकेत नहीं है। मनरेगा का जिक्र तक न होना आश्चर्यजनक है।
रोजगार के मुद्दे पर सरकार चुप
नौजवानों के मुद्दे पर सपा अध्यक्ष ने बताया कि रोजगार के अवसरों पर सरकार चुप है। होटल, परिवहन, सेवा क्षेत्र, हास्पिटैलिटी सेक्टर कोरोना की मार से अभी उबर नहीं पाए हैं सरकार ने उनको कोई राहत नहीं दी जबकि वे रोजगार का बड़ा सहारा बनते हैं। पेट्रोल-डीजल के बढ़े दामों से यातायात और ढुलाई से माल की कीमतों में बढ़ोत्तरी होगी जिससे उपभोक्ता की जेब कटेगी।