लालू यादव के दामाद के सामने ऐसा क्या कह दिया ,अलका लांबा ने की धीरे -धीरे मुस्कुराने लगे कांग्रेसी

लगातार तीन बार सत्ता का स्वाद चखने वाली दिल्ली कांग्रेस की पिछले 6 साल से हालत बहुत पतली है। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में शून्य पर सिमटने वालीं कांग्रेस पार्टी में शीर्ष नेताओं से लेकर स्थानीय कार्यकर्ताओं में निराशा का माहौल है। बावजूद इसके कुछ नेता हकीकत से कोसों दूर अपने कार्यकर्ताओं का झूठा ही सही, लेकिन उत्साह बढ़ाने का काम करते रहते हैं, लेकिन कभी-कभार स्थितियां हास्यास्पद हो जाती हैं। ताजा मामला दिल्ली कांग्रेस की एक नामी नेता से जुड़ा है और यह रोचक वाकया हुआ बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के दामाद चिरंजीव राव की मौजूदगी में हुआ। 

आईना दिखाना पड़ गया भारी, पर न हुआ एहसास

हुआ यूं कि जिला चांदनी चौक कांग्रेस कमेटी के कार्यकर्ताओं की एक बैठक हुई तो उसमें पार्टी नेता अलका लांबा भी मंचासीन थीं। चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र से ही पूर्व विधायक होने के नाते उन्हें कार्यकर्ताओं को संबोधित करने का मौका भी मिला। मैडम माइक पर आईं तो उन नेताओं से खासी नाराज नजर आईं जो पहले पार्टी छोड़ जाते हैं और बाद में वापस आकर फिर से टिकट की दावेदारी करने लगते हैं। उन्होंने जिला पर्यवेक्षक हरियाणा से विधायक चिरंजीव राव की उपस्थिति में कहा कि ऐसे नेताओं को कतई टिकट नहीं मिलनी चाहिए। बता दें कि चिरंजीव राव बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के दामाद हैं।

होंठों पर मुस्कुराहट छोड़ गया अलका लांबा का बयान

खैर मैडम अलका लांबा का यह वक्तव्य सुनते ही ज्यादातर नेता-कार्यकर्ता एक-दूसरे की तरफ देखने लगे। कुछ तो बुदबुदाए भी.. अरे भाई, यह तो खुद ही पार्टी छोड़कर चली गई थीं। बाद में वापस आईं तो सोनिया मैडम से अपनी टिकट भी पक्का करवा लाईं। अब नियम कायदा तो छोटे-बड़े सभी के लिए एक जैसा ही होना चाहिए न।

आम आदमी पार्टी से विधायक रह चुकी हैं अलका लांबा

गौरतलब है कि अलका लांबा ने अपना राजनीतिक सफर दिल्ली विश्वविद्यालय से शुरू किया। इस दौरान वह दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष भी चुनी गईं। 2002 में अलका को अखिल भारतीय महिला कांग्रेस का महासचिव भी नियुक्त किया जा चुका है। वह 2006 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का हिस्सा बन गईं। कहा जाता है कि अलका लांबा के शीला दीक्षित से बेहद अच्छे रिश्ते थे। उनकी रजामंदी के बाद ही उन्हें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी का महासचिव नियुक्त किया। हालांकि, शीला दीक्षित के मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान ही वर्ष 2013 दिसंबर में अल्का लांबा ने कांग्रेस छोड़ आम आदमी पार्टी ज्वाइन की। 2015 विधानसभा चुनाव में वे चांदनी चौक विधानसभाक्षेत्र से निर्वाचित होकर विधायक बनीं।  2020 विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की। चांदनी चौक से चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार गईं।

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