पश्चिम बंगाल के 627 सीएमई बटालियन दार्जिलिंग में तैनात सूबेदार मेजर एम ए खान की हुई मौत, लखनऊ के कमांड अस्पताल में चल रहा था इलाज

तीन रंगों वाला  तिरंगा भारत की आन बान और शान कहा जाता है । जिसके लिए  देशवासियों का जीना और मरना होता है । लेकिन देश की सेवा करने वाले देशभक्त सैनिकों की मृत्यु के बाद उनके कफ़न के रूप में मृत शरीर पर  तिरंगा डाला जाता है। जिसको देखने के बाद लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं । हालांकि यह दुखद समय जरूर होता है । लेकिन इसके बावजूद उस वक्त घरवालों का फक्र से सीना चौड़ा हो जाता है जब पूरे राजकीय सम्मान के साथ तिरंगा कफन बन जाता है। ऐसा ही दृश्य अमेठी में देर शाम देखने को मिला जहां पर भारतीय सेना में सूबेदार मेजर के पद पर तैनात एम ए खान की इलाज के दौरान हुई मृत्यु के बाद  उनका पार्थिव शरीर  उनके पैतृक गांव अमेठी कोतवाली क्षेत्र के मरफ़ापुर पहुंचा। घर परिवार के साथ पूरा गांव शोकमग्न था । सूचना पर डोगरा रेजीमेंट फैजाबाद से आए सैनिकों ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ मृतक सैनिक की लाश के ऊपर कफन रूपी तिरंगा डालकर आखरी सेल्यूट करते हुए सुपुर्द ए खाक किया।

सैनिक के भाई सरवर खान ने क्या बताया 

मृतक सैनिक के भाई सरवर खान ने बताया कि मेरे भाई सूबेदार मेजर एम ए खान पश्चिम बंगाल के 627 सीएमई बटालियन दार्जिलिंग में तैनात थे । वहां पर इनको जबान में थोड़ा सा इंफेक्शन हो गया था जिसका इलाज कमांड हॉस्पिटल कोलकाता में चलता रहा वहां से ठीक होकर और डिस्चार्ज होकर 2 महीने की छुट्टी पर घर आ गए थे आगामी 24 फरवरी को वापस ड्यूटी पर जाना था इसी बीच पुनः इनकी तबीयत घर पर खराब हो गई जिसमें इनको प्राथमिक उपचार के लिए मुंशीगंज अस्पताल ले जाया गया डॉक्टर ने वहां पर गंभीर हालत को देखते हुए लखनऊ के लिए रेफर कर दिया फिर इनको लखनऊ स्थित कमांड अस्पताल ले जाया गया जहां पर इनको भर्ती कराया गया और ट्रीटमेंट शुरू हुआ आईसीयू में लेकर गए लगभग 36 घंटे के इलाज के बाद शाम 6:00 बजे मृत्यु हो गई।

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